Wednesday, January 1, 2014

तेज़ाब



सर झुकए सब से नज़रे छुपाए
वो चले जा रही अपनी राह
सर का अचल
चेहरा का नकाब
सब को संभले
वो चली जा रही अपने रहा

कुछ ने कहा वहीं है ये
इसी की कोई गलती होगी
कोई ऐसे ही नहीं डालेगा
तेज़ाब

लोगो की बातोँ की जलन ने
उसके अंदर के साहस को जलाया
उसे लगा एक बार फिर उस पर
किसी ने तेज़ाब सा ज़हर डाला

तेज़ाब से चेहरा जले तो एक बात
सपने,होसले,रिश्ते इज़ात तक
जल जाता है

तेज़ाब ने उसकी चमड़ी नहीं,
जिंदगी जला डाली 
जलने का निशान गहरे ,
आत्मा तक पड़ गया

घुटन,बेबसी की एक काली जिंदगी
साथ लिए वो जी रही थी
आज वो चल पड़ी
मिटाने शारीर,आत्मा पर पड़े निशान
चल पड़ी अपने सम्मान,मान,
खोई जिन्दगी के लिए मंजिल
की तलाश में

ताने दे चाहे कोई या खड़ा हो जाए
रहा में
तेज़ाब के जलन को छोड़ कर
आज निकल चली
नए असमान की तलाश में.

नए असमान की तलास में...........

1 comment:

Thanks for visiting My Blog. Do Share your view and idea.

अपनी खुशियां को पहचानो -दीपक कुमार

 चेतन मन की जागृति स्वयं को जानने का मार्ग आपको यह मानो वैज्ञानिक तथ्य जानकर यह हैरानी होगी की हमारा जो दिमाग है, इसे बदलाव पसंद नही है, थोड...