Saturday, February 2, 2019


पहले की सारी कहानियाँ
जमीन में दफ़न कर दू
तेरे–मेरे रास्ते साथ चले
तो मैं अपनी मंजिल मोड़ लूं

तेरी साथ ने ऐसा असर दिखाया
मैंने अपने आप को अलग सा पाया
कोई रिश्ता तो नहीं, न कोई वादा
फिर भी तुझसे खुद को जुड़ा पाया

इस कहानी का भी क्या ?
पहले सा अंजाम होना है
मैं अपने खयालो में बुनू तुझे
और तू अपनी ज़िन्दगी की
रहा थामे दूर निकल जाए

हम साथ चले तो सफ़र
शानदार हो शायद
मंजिल मिले न मिले
पर एक कहानी ज़रूर
बन जाएगी
जिसे दफ़न में होने न दूँ

रिंकी

मेहरम

चुप ने ऐसी बात कही खामोशी में सुन  बैठे  साथ जो न बीत सके हम वो अँधेरे चुन बैठे कितनी करूं मैं इल्तिजा साथ क्या चाँद से दिल भर कर आँखे थक गय...