Wednesday, April 28, 2021

पहचान- अमृता प्रीतम

 तुम मिले

तो कई जन्म 
मेरी नब्ज़ में धड़के
तो मेरी साँसों ने तुम्हारी साँसों का घूँट पिया
तब मस्तक में कई काल पलट गए--

एक गुफा हुआ करती थी 
जहाँ मैं थी और एक योगी
योगी ने जब बाजुओं में लेकर 
मेरी साँसों को छुआ 
तब अल्लाह क़सम!
यही महक थी जो उसके होठों से आई थी--
यह कैसी माया कैसी लीला
कि शायद तुम ही कभी वह योगी थे
या वही योगी है--
जो तुम्हारी सूरत में मेरे पास आया है 
और वही मैं हूँ... और वही महक है...

- अमृता प्रीतम

Sunday, April 25, 2021

बेबसी

सोचा न था की दर्द इतना गहरा होगा।

हर इंसान शिकन के अँधेरे में सिहरा होगा।

 


दोस्तों को खोने के बाद अलविदा कहना

न नसीब होगा।

इंसान इस कदर इन्सानित से फ़ना होगा।


तबाही होगी ऐसी कभी सोचा न था

मौत का पहरा हर गली

मोहल्ला और घर पर होगा।

 

साँस को मोहताज़ होगी सांसे

देश में मातम पसरा होगा।

 

सोचा न था की दर्द इतना गहरा  होगा।

हर इंसान शिकन के अँधेरे में सिहरा होगा।


Rinki

Wednesday, April 14, 2021

नया रंग

प्यार में नाकामी का तमगा हासिल है मुझे

ठीक रेल में सवार पैसेंजर की तरह

हर स्टेशन पर पुराना साथी उतरा

नया साथी बनता गया

सफ़र तो अलग बात थी

मंज़िल तक पहुंचना मुश्किल लगा मुझे।

 

रात में सन्नाटे का शोर

दिन के शोर से ज़्यादा कानो में गूंजता है।

मै अनसुना भी करू तो

अपने ही साए सा पीछा कहा छोड़ता है।

मुझे अकेला नहीं छोड़ता है।


हम सा साझदार न मिला था हमें अब तक

जब तक वो अपने बातो में इश्क को लपेटे

मेरे सामने नहीं आया था।

उस वक़्त पछताया , मोहबत में डूब जाने की

बेवकूफी क्यों नहीं की अब तक


शब्द दर शब्द बिना किसी अंतरा, लय, छंद के

कुछ लिखने की कोशिश में है

देखते है क्या बना सकता है।

शायद कविता , कहानी या कुछ और उभरे

अच्छा हो किसी दोस्त के मन में भी

इसे पढ़ कर साहित्य का नया रंग निकले।

 

 

 

रिंकी

Friday, April 9, 2021

ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दोहरा हुआ होगा

 

मैं सजदे में नहीं था आप को धोखा हुआ होगा 
यहाँ तक आते-आते सूख जाती है कई नदियाँ 
मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा 
ग़ज़ब ये है की अपनी मौत की आहट नहीं सुनते 
वो सब के सब परेशाँ हैं वहाँ पर क्या हुआ होगा 
तुम्हारे शहर में ये शोर सुन-सुन कर तो लगता है 
कि इंसानों के जंगल में कोई हाँका हुआ होगा 
कई फ़ाक़े बिता कर मर गया जो उस के बारे में 
वो सब कहते हैं अब ऐसा नहीं ऐसा हुआ होगा 
यहाँ तो सिर्फ़ गूँगे और बहरे लोग बस्ते हैं 
ख़ुदा जाने यहाँ पर किस तरह जलसा हुआ होगा 
चलो अब यादगारों की अँधेरी कोठरी खोलें 
कम-अज़-कम एक वो चेहरा तो पहचाना हुआ होगा 

- दुष्यंत कुमार 

Friday, April 2, 2021

शिकायत

 शिकायत तो प्यार में  रिवाज़ होता  है 

ज़िन्दगी से शिकायत कैसी ?

कहते है जो सबका होता है 

वो किसी के साथ नहीं 

आस-पास मेले सी भीड़ 

लम्बी रातों  में अपना साथ होता है। 



Rinki

मेहरम

चुप ने ऐसी बात कही खामोशी में सुन  बैठे  साथ जो न बीत सके हम वो अँधेरे चुन बैठे कितनी करूं मैं इल्तिजा साथ क्या चाँद से दिल भर कर आँखे थक गय...