बचपन का मुझे एक टीवी सीरियल का गाना अभी भी याद है शायद ये सीरियल डी.डी वन पर आता था जिसे बोल कुछ ऐसे थे
मम्मी कहती बनो डाक्टर
पापा कहते अफ़सर
इन्ज़िनिएर बन जाओ भईया
बहना कहती अक्सर
बच्चो के विकास मैं अब
बोलो बच्चो क्या हिस्सा
ये गाना आज भी उतनी ही प्रसंगता रखता था जितनी तब एक माँ अपने बच्चे का रिजल्ट देख कर उदास हो जाती है क्यूँ की उनका बच्चा क्लास में टॉप टेन पोजीशन में नहीं आ पाया एक पाच साल का बच्चा जो खुद भी अपनी उम्र के टॉप टेन पोजीशन में नहीं आया उससे उम्मीदे है की वो दुनिया की रेस में धोड़े की तरह भागे मुझे लगता है लोग उसे घोड़े की तरह हो गए है जिसकी पीठ पर कोई सवार होकर उसकी आँखों के सामने हरी –हर घास देखा कर काम करवाता है
हरी घास को लोगो को सपनो की तरह देखाया जाता है सपने सक्सेस का,कैरियर का,पोजीशन का और आज का युवक भाग रहा है उस घास की ललचा में बिना या समझेते हुए की वो अपना नहीं किसी और का सपना पूरा कर रहे है आपने सपने जीने के लिया दुनिया की रेस में आंखे बंद कर भागने की सच में ज़रूरत है क्या ?
या फ़िर अपने विवेक,ज्ञान,बुद्ध और लोगो के सहयोग से भी सफलता अर्जित की जा सकती है .
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