Saturday, May 27, 2023

आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे- Suraj-Sanim

 आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे

मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगें

मैँ भटकता ही रहा दर्द के वीराने में
वक़्त लिखता रहा चेहरे पे हर पल का हिसाब
मेरी शोहरत मेरी दीवानगी की नज़र हुई
पी गई मय की बोतल मेरे गीतोँ की किताब
आज लौटा हूँ तो हँसने की अदा भूल गया
ये शहर भूला मुझे मैँ भी इसे भूल गया
मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगें
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे

मेरा फ़न फिर मुझे बाज़ार में ले आया है
ये वो जा है कि जहाँ मह्र-ओ-वफ़ा बिकते हैँ
बाप बिकते हैँ और लख़्त-ए-जिगर बिकते हैँ
कोख बिकती है दिल बिकते हैँ सर बिकते हैँ
इस बदलती हुई दुनिया का ख़ुदा कोई नहीँ
सस्ते दामोँ में हर रोज़ ख़ुदा बिकते हैँ
मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगे
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे

हर ख़रीदार को बाज़ार में बिकता पाया
हम क्या पायेंगे किसी ने यहाँ क्या पाया
मेरे एहसास मेरे फूल कहीँ और चलेँ
बोल पूजा मेरी बच्ची कहीँ और चलेँ, और चलेँ, और चलेँ

4 comments:

  1. मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगे
    आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे
    वाह!!!
    अद्भुत....अप्रतिम ।

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