आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे
मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगें मैँ भटकता ही रहा दर्द के वीराने में वक़्त लिखता रहा चेहरे पे हर पल का हिसाब मेरी शोहरत मेरी दीवानगी की नज़र हुई पी गई मय की बोतल मेरे गीतोँ की किताब आज लौटा हूँ तो हँसने की अदा भूल गया ये शहर भूला मुझे मैँ भी इसे भूल गया मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगें आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे मेरा फ़न फिर मुझे बाज़ार में ले आया है ये वो जा है कि जहाँ मह्र-ओ-वफ़ा बिकते हैँ बाप बिकते हैँ और लख़्त-ए-जिगर बिकते हैँ कोख बिकती है दिल बिकते हैँ सर बिकते हैँ इस बदलती हुई दुनिया का ख़ुदा कोई नहीँ सस्ते दामोँ में हर रोज़ ख़ुदा बिकते हैँ मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगे आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे हर ख़रीदार को बाज़ार में बिकता पाया हम क्या पायेंगे किसी ने यहाँ क्या पाया मेरे एहसास मेरे फूल कहीँ और चलेँ बोल पूजा मेरी बच्ची कहीँ और चलेँ, और चलेँ, और चलेँ
मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगे
ReplyDeleteआईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे
वाह!!!
अद्भुत....अप्रतिम ।
Best lyrics by Suraj-Sanim
Deleteसुंदर
ReplyDeleteThanks onkar Ji
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