Thursday, July 28, 2022

डिलन - 'ब्लॉइंग इन द विंड'

 कितने रास्ते तय करे आदमी

कि तुम उसे इंसान कह सको?
कितने समन्दर पार करे एक सफ़ेद कबूतर
कि वह रेत पर सो सके ?
हाँ, कितने गोले दागे तोप
कि उनपर हमेशा के लिए पाबन्दी लग जाए?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवा में उड़ रहा है
जवाब हवा में उड़ रहा है।

हाँ, कितने साल क़ायम रहे एक पहाड़
कि उसके पहले समन्दर उसे डुबा न दे?
हाँ, कितने साल ज़िन्दा रह सकते हैं कुछ लोग
कि उसके पहले उन्हें आज़ाद किया जा सके?
हाँ, कितनी बार अपना सिर घुमा सकता है एक आदमी
यह दिखाने कि उसने कुछ देखा ही नहीं?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवा में उड़ रहा है
जवाब हवा में उड़ रहा है।

हाँ, कितनी बार एक आदमी ऊपर की ओर देखे
कि वह आसमान को देख सके?
हाँ, कितने कान हो एक आदमी के
कि वह लोगों की रुलाई को सुन सके?
हाँ, कितनी मौतें होनी होगी कि वह जान सके
कि काफ़ी ज़्यादा लोग मर चुके हैं ?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवा में उड़ रहा है
जवाब हवा में उड़ रहा है।


नोबल पुरस्कार से सम्मानित बॉब डिलन - 'ब्लॉइंग इन द विंड' 

"The More Loving One" by W.H. Auden

 

Were all stars to disappear or die, 
I should learn to look at an empty sky
And feel its total dark sublime, 
Though this might take me a little time.

Sunday, July 24, 2022

जगदीश व्योम-सूर्य के पांव, चूमकर सो गए, गांव के गांव

उगने लगे

कंकरीट के वन
उदास मन !
  
धूप के पांव 
थके अनमने से 
बैठे सहमे।
   
मरने न दो
परम्पराओं को कभी
बचोगे तभी।
  
कुछ कम हो 
शायद ये कुहासा
यही प्रत्याशा।
  
मिलने भी दो
राम और ईसा को
भिन्न हैं कहां !
  
बिना धुरी के
घूम रही है चक्की
पिसेंगे सब।
  
चींटी बने हो 
रौंदे तो जाआगे ही
रोना धोना क्यों?
  
सूर्य के पांव
चूमकर सो गए
गांव के गांव।

यूं ही न बहो
पर्वत–सा ठहरो
मन की कहो।
  
पतंग उड़ी 
डोर कटी‚बिछुड़ी
फिर न मिली।

Friday, July 22, 2022

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती – सोहनलाल द्विवेदी

 लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

Thursday, July 21, 2022

अग्निपथ – हरिवंश राय बच्चन

वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।

तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।

Monday, July 18, 2022

उम्र - शादी की

अब्बू को खबरें बहुत पसंद है वह सारा दिन टीवी पर न्यूज़ ही देखते हैं एक ही न्यूज़ बार-बार देखते हैं उन्हें लगता है जैसे अगर वह न्यूज़ नहीं देखेंगे, तो पीछे रह जाएंगे या कुछ छूट जाएगा।मैंने आज तक इन खबरों का कोई असर अपने जीवन में तो नहीं देखा है मैं तो बस अपने किताब,दोस्तों और सपनों में खुश हूँ।

 इस चुनाव में जीत किसकी होगी, फिर से भगवा लहराएगा या बदलाव की बात होगी चुनाव का क्या रिजल्ट होंगे देखते रहिए और  खबरों में बने रहे , हमारे चैनल पर….. यही नजारा है हर घर का, हम सुबह जागते ही अपने दिमाग में खबर भर लेते हैं। मुझे समझ में नहीं आता की

दुनियाँ की सोच और उनके किए जाए पुराने कर्म -काण्ड को हम सुबह  जागते ही अपने खाली  दिमाग में क्यों डाल लेते है सोचती हूं काश, मुझे सुबह जागते ही ख़बर  नहीं  सुनना पड़ता। मुझे नफरत है इन खबरों से क्योंकि एक तो यह पुरानी होती है और सिर्फ दुख ही दुख भरा होता है इनमे अक्सर।

 रोज़ की तरह अब्बू  न्यूज़ देख रहे है।  पर आज अम्मी भी ध्यान से खबर सुन रही है।  क्या ये सच है ? पूछिए ज़रा  किसी से।  अम्मी ने अब्बू की तरफ देखकर कहा। स्कूल से आते  ही अम्मी ने  बाजार चलने को कहा, आज पहली बार अपनी पसंद का लेहंगा, अनारकली  और जूती  सब खरीदा मैंने।  घर पर खाला और खालू आए थे, मुझसे पूछा पढाई कैसे चल रही है।

बहुत सही, मुझे तो अभी नौकरी  करनी है। स्कूल तक पढ़ ले आगे देखते है। कल स्कूल से छुट्टी ले लेना।

 अम्मी, कल तो मेरा जन्मदिन है, हाँ पता  है, अठारह  साल की हो जाएगी।

जैसे की न्यूज़ में दिखा रहे थे अगर ,लड़कियों  की शादी की उम्र  18  से 21 साल कर दी तो बहुत मुश्किल हो जाएगी।

खालू ने बीच में टोका , हाँ  जवान लड़की को इतने साल घर पर कैसे रखेंगे।

तुम दोनों  ने सही फैसला  लिया है , कल ही इसका निकाह कराने का।

 निकाह …….. क्या मेरा निकाह? , मुझे नहीं पता था की ख़बर का असर ज़िन्दगी मोड़ देती है।

 

सभी टीवी में " ब्रेकिंग न्यूज़ " देखने लगे।

Sunday, July 17, 2022

तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त- राजेन्द्र नाथ रहबर

 तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त, मैं जलाता कैसे


प्यार में डूबे हुए ख़त, मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे ख़त, मैं जलाता कैसे

जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाये रखा
दीन जिनको, जिन्हें ईमान बनाये रखा

जिनका हर लफ़्ज़ मुझे याद था पानी की तरह
याद थे मुझको जो पैग़ाम-ए-ज़ुबानी की तरह
मुझको प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह

तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे
साल-हा-साल मेरे नाम बराबर लिखे
कभी दिन में तो कभी रात को उठ कर लिखे

तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ

मेहरम

चुप ने ऐसी बात कही खामोशी में सुन  बैठे  साथ जो न बीत सके हम वो अँधेरे चुन बैठे कितनी करूं मैं इल्तिजा साथ क्या चाँद से दिल भर कर आँखे थक गय...