Saturday, November 30, 2019

रिश्वत


बाबू  साहब कब तक घूमाते रहेंगे, अरे ! तू फिर आ गया।  कितनी बार बताया है की साहब के पास कागज़ रखा है। यही बात हम कब से सुने जा रहे है।  पिछली बार हम आए थे, तब भी यही बात कहे थे आप। सीधे -सीधे काहे नहीं कहते की आपको पैसा चाहिए ?  जब सब मालूम है तुमको तब कहे खातिर तमाशा कर रहा है पैसा दे और काम खत्म कर।

क्या कर रहा है ? दूध को बढ़ा रहे है, इ का मिला रहा है। पाउडर इससे दूध गाढ़ा होता है। आज उ साला…..   बहुत पैसा लिया हमसे।  ज़्यदा बेचेंगे तभी तो भरपाई होगा।  

बाबू साहब आ गए घर।  क्या हुआ मुन्ना को ? देखिए न बाजार से दूध लाए थे। जब से पीया है तबीयत ख़राब हो गई।  चलिए अस्पताल जल्दी।
चलो अपनी जेब फड़वाने ! डॉक्टर तो बस पैसा बनाते है।

Saturday, November 23, 2019

मन की बात


काठ के पुतले

हर एक है परेशान किससे बँधे है वो। है किसकी कठपुतली।  समझ न सके की सब की डोर उसके हाँथ। है सब उसकी कठपुलती। 

Wednesday, November 20, 2019

हत्या


पुलिस स्टेशन, बता कितनी अजन्मी लड़कियों को मारा है तुमने ?  कितनी औरतो का एबोर्सन किया है?  उस कुएं से हमें ३० से ज्यादा भूर्ण मिले है।   इतनी सारी बच्चियों को मर डाला।  क्यों डॉक्टर ऐसा सिर्फ पैसो के लिए किया।  मेरा  मकसद तो सिर्फ  पैसे कमाने  था। जिन्होंने मरवाया  ,उनसे पूछो क्यों अपनी ही बेटी को जन्म से पहले मार डाला ?

सभी भूर्ण लड़कियों के नहीं है,बहुत से लड़के भी थे।  लड़के ! ये  क्या कहा रहे हो तुम?   कोई अपने लड़के को  क्यूँ मरना चाहेगा ?  लड़की है  या लड़का उन्हें क्या पता था।

उन्हें  बस एबोर्सन से  मतलब था और हमें पैसे से।  दोनों के बीच खामोशी छा गई।

Tuesday, November 19, 2019

शरणार्थी

"वसुधैव कुटुम्बकम " को सार्थक रूप से प्रमाणित  करने वाली एक  गाथा पढिये।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण और भीषण रक्तपात मचाया तब स्त्री और बच्चो की रक्षा करने हेतु पोलैंड के सैनिको ने 500 महिलाओ और लगभग 200 बच्चों को एक बड़े समुद्री जाहज में बैठाकर समुद्र में छोड़ दिया ताकि उनका जीवन बच सके जहाज के कैप्टन से कहा गया की इन्हें किसी भी देश में ले जाओ, जहाँ इन्हें शरण मिल सके अगर जिन्दगी रही हम बचे रहे या ये बचे रहे तो दुबारा मिलेंगे।

पांच सौ शरणार्थी महिलाओ और दो सौ बच्चो से भरा वो जहाज कई देशो के पास गया जैसे ईरान के सिराफ़ बंदरगाह पहुंचा, वहां किसी को शरण क्या उतरने की अनुमति तक नही मिली, फिर सेशेल्स में भी नही मिली, यमन के बंदरगाह अदन में भी अनुमति नही मिली। काफी दिनों समुद्र में भटकने के बाद वो जहाज गुजरात के जामनगर के तट पर आया।

उस समय जामनगर के महाराजा “जाम साहब दिग्विजय सिंह” थे जिन्होंने भूख प्यास से बेहाल और कमजोर हो चुके उन पांच सौ महिलाओ बच्चो को अपने राज्य में शरण दी ..महाराजा ने कहा, “ मैं इस क्षेत्र का बापू हूँ और तुम मेरे राज्य में आये हो तो तुम्हारा भी बापू हूँ इसीलिए तुम्हारी हर जरुरत पूरी की जाएगी। महाराजा ने उनके लिए अपना एक राजमहल जिसे हवामहल कहते है वो रहने के लिए दिया बल्कि अपनी रियासत में बालाचढ़ी में सैनिक स्कूल में उन बच्चों की पढाई लिखाई की व्यस्था की। ये शरणार्थी जामनगर में कुल नौ साल रहे।

उन्ही शरणार्थी बच्चो में से एक बच्चा बाद में पोलैंड का प्रधानमंत्री भी बना।

Monday, November 18, 2019

मेरे गाँव की तस्वीर

एक गोरैया ने आवाज़ लगाई
इस कंक्रीट के जंगल में नहीं
गाँव में ज़िन्दगी आज भी है समाई
आज भी चिडियों के झुंड दिखते है
शाम में गोधूली उड़ती है
बरगत के पेड़ के नीचे
ज़िंदगी ले अंगड़ाई

आकाशवाणी के बोल देती है सुनाई
सुबहे की बेला में लिपा हुआ चूल्हा और अगन
बिना पढाई के बोझ तले दबा बचपन
देता दिखाई

आम,बेरी ,महुआ,अमरुद को घेरे बच्चे
हवाओ में महुआ की महक
खेतो में पुरवाई की चहक
आज भी है गाँव में यादों की महक
बरगत के पेड़ के नीचे
ज़िंदगी ले अंगड़ाई

Sunday, November 17, 2019

लोकतंत्र


नेता जी धूप में  घर-घर जाकर सभी लोगों से मिल रहे हैं। जब रामू का घर आया तो वे उसके घर के आगन मे  बिछे  खटिया पर बैठ गए  और कहा कि थोड़ा पानी पिला पानी।  पीने के बाद वोट देने की गुजारिश करके, रहीम के घर की ओर चल दिए।

इलेक्शन का नतीजा  शानदार रहा नेता जी निरविरोध बहुमत से जीते  थे। इलाके से पहली बार कोई नेता राज्य के कैबिनेट में शामिल हुआ था। सब बहुत खुश थे। दो साल बाद नेता जी अपने क्षेत्र का भर्मण करने आए।  मंच पर बैठे कई योजनाओ की फरिस्त सुनाई और वादे किए।  ग्रामवासी बहुत उत्साहित थे।  जब क्षेत्र सूखा ग्रस्त हुआ तो लोगे ने सोचा नेता जी से मदद माँगी जाए।  कुछ लोग नेता जी के आवास पहुंचे पर मिल न पाए।  उनके दफ्तर पर भी गए पर कोई फायदा  नहीं।  सोचा की उनके काफिला को ही रास्ते में रोक लेंगे।  नेता जी का काफिला आने वाला था, सभी राहगीर को वही रोक दिया गया जहां वो थे न आगे जाने दिया न पीछे। पुलिस, अर्ध सेना सड़क पर फैले थे।  जनता एक तरफ खड़ी अपने-आप को नेता जी के सामने बौना या कुछ नहीं होने के अहसास से कुंठित हुई जा रही थी तभी नेता जी की लाल बत्ती वाली गाड़ी सामने से गुजर गई। 

Monday, November 11, 2019

अनोखा बंधन

कौन रहा है बांध मुझे
प्यार का अपनापन
या सांसो का बंधन,
कौन रहा है बांध मुझे
है किसका
अनोखा बंधन

प्रेम ने मुझे बांधा है या
जीवन के रस ने घेरा मुझे
किसके हूँ मैं बंधन में
सवाल बन सोच रहा मेरा मन
मैं चाहू उसे या वो चाहे मुझे
या दोनों बाते है सम्मोहन

मैं मीरा या वो मोहन
है किसका बंधन

कौन रहा है बांध मुझे
है प्यार का अपनापन
या सांसो का बंधन,
कौन रहा है बांध मुझे
है किसका अनोखा बंधन

प्रेम ने मुझे बांधा है या
जीवन के रस ने है घेरे मुझे
किसके हूँ मैं बस में
सवाल बन सोचे रे मेरा मन
मैं चाहू उसे या वो चाहे मुझे
या दोनों बाते है सम्मोहन

मैं मीरा या वो मोहन
जो बांध रही इक डोर हमें
जो खीचें तेरी और मुझे
है किसका बंधन

Sunday, November 10, 2019

एक चुप सौ सुख

नई नवेली दुल्हन जब उसके जिंदगी में आई तो उसकी दुनिया स्वर्ग सी हो गईI वो बस उसको निहारता रहता और मन में हो रही गुदगुदी को छुपाते हुए मुस्कुरा देता I हर बात पर कहता मुझे बहुत अच्छी दुल्हन मिली है।  अब साल होने को आया है, वो अपनी दुल्हन के साथ बहुत खुश हैI उनकी दुल्हन कुछ दिनों से परेशान सी दिखाई दे रही है,उसने कई बार कारण पता करने की कोशिश की पर दुल्हन चुप रहीI क्यूंकि उनकी माँ  ने कहा था की तुम लड़की हो और ये दुनियाँ  का रिवाज है की बस सुनना, बोलना नहीं।  "एक चुप सौ सुख"

बहुत दिन तक वो कुछ नहीं बोली।  जब दर्द हद से बढ़  गया।  एक दिन उसने कहा की उसकी आँखों और सर में दर्द  हैI

वो उसे डॉक्टर से चेक-उप करने ले गया I डॉक्टर ने दुल्हन से पूछा आपने चश्मा लगाना क्यूँ छोड़ दिया? आपकी आँखों की रोशनी पर बहुत असर पड़ रहा है, दवाइयां और चश्मा लेने के बाद दोनों घर आए तो पति ने  पूछा ,तुमने चश्मे वाली बात क्यूँ छुपाई?

 उसकी दुल्हन ने रोते हुए कहा,मुझसे माँ ने कहा था की किसी को मत बताना नहीं तो लोग तुझे अच्छी दुल्हन नहीं कहेंगेI

Saturday, November 9, 2019

पुरानें दोस्त मिले


किताबो के भीतर
मेरे सपनो की दुनिया बसी है
पन्ना बदलते ही बचपन दिखा
पुरानें दोस्त मिले

ख़ुशी,उमंग,झूठे ओर सच्चे
बातो की कहानी मिली
स्कूल की डेस्क पर
कॉलेज के दिनों के तस्वीर मिले

एक पुरानी किताब
के पन्नो में दबा प्यार मिला
गुलाब की पंखुडियो पर लिखा
उसका नाम मिला

सपनो को किताबो से प्रेरणा मिली
जिन्दगी का हर रूप किताबो से ढला
ये वो दोस्त है जो रूठे न कभी
अलमारी में बैठे  मुस्कुराते रहे

सवाल दर सवाल
जब कभी किसी नए सवाल
का जवाब न  मिले
तब अपनी किताब का
पन्ना पलटे

Thursday, November 7, 2019

भोली जनता


एक सियार मंच पर खड़ा भाषण दे रहा था।  जो गिदर है ना  देश को  नोच कर खा रहे है, प्यारी जनता " क्या आप देश को बचाएंगे ? बचाएंगे ?. जनता जो भोली थी, सियार और गीदर में फर्क नहीं जानती थी। या जनता को फ़िक्र नहीं थी। वो खुश थी क्यूंकि कुछ का पेट भरा था ,कुछ के पास आधा ज्ञान था , कुछ धर्म  को बचाना चाहते थे , कुछ के पास पैसा था और कुछ ऐसे थे जो इन सब झंझट में फसना नहीं चाहते थे।

एक दिन जन समर्थन का मेला लगा ,उस मेला में सियार जीत गए ।   कुछ दिन के बाद जनता जो भोली थी, उसे दाल में काला नज़र आने लगा था पर वो समझ चुकी थी।  सियार और गीदर की लड़ाई में जनता के साथ जो हुआ था  वो  ऐसा था "आ बैल मुझे मार "  जनता फिर भी उम्मीद लगाए बैठी है। 

Sunday, November 3, 2019

एक तरफा प्यार


सदूक के किसी कोने मे
शायद शाल में लपेटकर
या फोटो के एल्बम में
कही छुपाया था
तुझको लिखे ख़त मैंने

अब तो याद भी नहीं
कितनी शायरी,कविता लिखी तुम्हे  
संदूक जब भी खोलती हूँ
लगता है किसी ने गुलाल डाल दिया हो
रंग,खुशबू और एहसास  
एक साथ महक उठते है

कभी उन खत को भेजा नहीं
डर जैसी कोई बात भी न थी
मैं इस खूबशूरत प्यार मे
हमेशा जीना चाहती थी
मेरे एक तरफा प्यार को
बचाए रखने का यही
एक रास्ता था

Rinki




खामोश रिस्ता

ख़ामोशी भी एक तरह की सहमति है
मैं चुप रहकर तेरे जाने को रोक न सका
मजबूरी का रोना हम दोनो ने रोया
समाज की रीत, परिवार की इज़्ज़त
मजबूरियॉ दोने ने गिनाए

ख़ामोशी ज़हर की तरह फैली
प्यार का खिलना नामुमकिन था
हम थे तो आमने –सामने
लेकिन ख़ामोशी की एक खाई सी
हमारे बीच पट्टी रही

एक सवाल
कभी जो कानो में शौर करता है
क्या प्यार नहीं है?
हम दोनों के दरमियाँ
फिर एक लंबी ख़ामोशी
हमेशा के लिए छा जाती है

कोई रिस्ता न सही राबता
हमदोनो के बीच ज़रूर है
उन रिस्तो से ज़्यदा शकून
देता है तेरा-मेरा अनकहा रिस्ता

रिंकी

Saturday, November 2, 2019

अनजान सफर


नया तूफानी पहल की ललक
हाथ में  हिम्मत की मशाल
चेले हम अनजान सफर

पुराने  रास्तो पर वो चलते है
जिनकी कोई मंज़िल नहीं होती
वो जो सपने देखते है
अपने रास्ते बनाते मिटाते
निकल जाते है, अनजान सफर

गिरने से तो सब डरते है
खोने का भी डर सभी को है
गिरना और डरना सब सही
वो जो निकल पड़े है अपने सफर
चेले हम अनजान सफर

ये जिंदगी भी एक सफर है
अनजान रास्ते और लोग
सिखाते है कुछ मीठा और खट्टा
चखते रहो स्वाद रास्तो का
मज़बूत बनता है अनजान सफर 

रिंकी




मेहरम

चुप ने ऐसी बात कही खामोशी में सुन  बैठे  साथ जो न बीत सके हम वो अँधेरे चुन बैठे कितनी करूं मैं इल्तिजा साथ क्या चाँद से दिल भर कर आँखे थक गय...