Tuesday, December 26, 2017

प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत


दोस्तों,

आह! जिंदगी पत्रिका में मेरे द्वारा लिखित कहानी   “मानवता और मजहब”  को प्रकाशित  किया गया था, दैनिक भास्कर  ने कहानी को  प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है

इनाम मे पाए गए चेक को साझा कर रही हूँ

Thursday, December 14, 2017

आकर्षण का सिद्धांत

आकर्षण का सिद्धांत को समझा जा सकता है कि, “जैसा चाहेंगे वैसे बन जायगे” हम अपने जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभावों को लाने के लिए जिम्मेदार हैं।


आकर्षण के सिद्धांत को “ अर्ल नाईटएंगल” ने बहुत पहले ही विस्तृत और आसन तरीके से समझा दिया था।आपको बस अपने लिए मेहनत करना है। विडिओ देखना बदलाव की पहली कड़ी है, 

Sunday, December 10, 2017

सुहागरात



सुहागरात में फूलो की सेज पर वो बैठी थी  अचानक ही हँसने लगी, वो जोर–जोर से हँस रही थीI आज से छ: महीने पहले की बात उसे याद आ गई, उसके पिता और भाई दोनों उसे दुहाई दे रहे थेI ‘अगर तूने उस लड़के के साथ कोई भी रिश्ता रखा तो सारे खानदान की इज्ज़त ख़राब हो जाएगीI उस पराए जात के लड़के का घर बसाएगी, बच्चे पैदा करेगी तो हम अपनी जान दे देगे,
और आज का दिन है, पिता और भाई ने एक लड़का ढूंढा है, दहेज़ भी दिया हैI
पिता ने अपनी बेटी और भाई ने अपनी बहन को सजाकर सुहागरात मनाने, एक पराए आदमी के पास बिठा दिया हैI


Rinki

Friday, December 1, 2017

मजबूरी


क्या चुने, क्या छोड़े
जिंदगी इसी जद्दोजहद में
गुजारी


सुबह का सुर्ख लाल सूरज
रेत पर लम्बी परछाई बना
सागर में बुझ गया
मैं बस रेत के कण चुनता रहा


प्यार बस सोच तक सीमित रहा
हमेशा मेरे ख्वाब और उसकी
मजबूरियां
एक दूसरे की तरफ पीठ किए
खड़े रहे


रिंकी

मेहरम

चुप ने ऐसी बात कही खामोशी में सुन  बैठे  साथ जो न बीत सके हम वो अँधेरे चुन बैठे कितनी करूं मैं इल्तिजा साथ क्या चाँद से दिल भर कर आँखे थक गय...