Sunday, December 17, 2023

ये ग़म क्या दिल की आदत है? नही तो -Jaun Elia

                                                      ये ग़म क्या दिल की आदत है? नही तो,

                                                    किसी से कुछ शिकायत है? नही तो


है वो एक ख्वाब-ए-बे-ताबीर,
उसे भूला देने की नीयत है? नही तो
किसी के बिन , किसी की याद के बिन,
जिये जाने की हिम्मत है? नही तो

किसी सूरत भी दिल लगता नही? हां,
तो कुछ दिन से ये हालात है? नही तो
तुझे जिसने कही का भी नही रखा,
वो एक जाति सी वहशत है? नही तो

तेरे इस हाल पर है सब को हैरत,      
तुझे भी इस पे हैरत है? नही तो
हम-आहंगी नही दुनिया से तेरी,
तुझे इस पर नदामत है? नही तो

वो दरवेशी जो तज कर आ गया…..तू
यह दौलत उस की क़ीमत है? नहीं तो
हुआ जो कुछ यही मक़सूम था क्या?
यही सारी हिकायत है? नही तो

अज़ीयत-नाक उम्मीदों से तुझको,
अमन पाने की हसरत है? नही तो
तू रहता है ख्याल-ओ-ख्वाब में गम,
तो इस वजह से फुरसत है? नही तो

वहां वालों से है इतनी मोहोब्बत,
यहां वालों से नफरत है? नही तो
सबब जो इस जुदाई का बना है,
वो मुझसे खुबसूरत है? नही तो
                                           – Jaun Elia

No comments:

Post a Comment

Thanks for visiting My Blog. Do Share your view and idea.

असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...