Sunday, January 25, 2015

सरस्वती वंदना


विद्या, बुद्धि,संस्कार और समझदारी देने वाली माँ सरस्वती
मैं अपने करजोड़ तुझसे क्षमा  चाहती हूँ |
तेरे तिरस्कार,अपमान के लिए
सरस्वती पूजन में बजाए जाने वाले अश्लील संगीत
कान-फोडू अभद्र गानों के लिए|
 
आदर और सम्मान के स्थान पर मोज-मस्ती
नेतिकता को तक पर रख देने वाले वाहियात
नंगा नाच करते बच्चो के तरफ से
 
सब चलता है, संस्कृति को मानाने वाले
समाज के लोगो,माता-पिता जो कुछ ना कहा कर
इस अश्लील प्रथा को स्वकृति देने वाले |
 
पुलिस,प्रशासन के गुगेपन और बहरेपन के लिए
क्षमा  प्रार्थी हूँ |
 
मैं सोचती हूँ, जिस देश के करोड़ो बच्चे
शिक्षा से दूर है,जिस देश के बच्चे त्यहारो के नाम पर
जबरजस्ती चंदा वसूलते है |
जीवन के कीमती समय को त्यहारो के नाम पर व्यर्थ करते है |
किसी रीती-रिवाज का मूल अर्थ जाने बिना सिर्फ उसे मानते है|
मनोरंजन के नाम पर विदेशो द्वारा फलाए बाजारवाद में फसे जाते है
उस देश में इतने ताम-झाम से
विद्या दाती सरस्वती को पूजने का क्या महत्व रह जाता है?
 
हे विद्या दाती, दे दे कुछ विवेक हमें सही- गलत में भेद करे|
साहस दे बड़ो को गलत को रोक सके|
बुद्धि दे बच्चो को सरस्वती का असली मंत्र समझ सके|


Rinki

Monday, January 5, 2015

PK को टैक्स फ्री करना

सिनेमा और दर्शक के बीच का सम्बन्ध सीधा सा नज़र आता है, लेन-देन जैसा दर्शक सिनेमा घर जाकर पिक्चर का टिकट खरीदें अच्छा समय बिताए और अपने-अपने घर चलते बने सिनेमा निर्माता भी एक कहानी को कुछ गाने में लपेट मनोरंजन का सामान तैयार कर दर्शकों के सामने परोसता है, हल के सालो में सिनेमा का चेहरा बदलने लगा है या फिर कहे दर्शक से आसानी से जूड जाने वाली कहानीयों को दिखाने की कोशीश की जा रही है, नए निर्माता और निर्देशक जैसे अनुराग बशु ऐसे प्रयास की तरफ सफलता से बढ़ रहे है, कुछ बड़े निर्माता भी इस प्रयास की तरफ अग्रसर होते नज़र आ रहे है

पी.के जैसी फिल्म समाज से बड़े तबके को पसंद आ रही है, साथ में आलोचना का बाज़ार भी उतना ही गरम होते जा रहा है,धार्मिक गुरु और धर्म के हित्यासी राजनेतिक पार्टी भी पुरे जोर-शोर से पी.के का विरोध कर रही है,इस विरोध से फिल्म का नुकसान कम फयदा ज्यादा होता नज़र आ रहा है देश के दो राज्यों ने फिल्म को टैक्स रहित भी कर दिया है, इन राज्यों के महामहिम का कहना है की फिल्म में धर्म से जुड़े पाखंड को खुल कर दिखाया गया है इसलिए इस फिल्म को हर किसी को देखना चाहिए, इस बात पर तर्क –वितर्क किया जा सकता है, पर यह काम तो टी.वी न्यूज़ चैनल का है, हम अपने काम से मतलब रखते है

आज के अख़बार के कोने में एक खबर छापी की पी.के फिल्म को टैक्स रहित कर राज्य की पार्टी, जनता को एक मौका दे रही है की जनता जाने, की कैसे दूसरी पार्टी जनता के भोलेपन,संवेदनाता और धर्म के नाम का फायदा उठा कर उनका वोट हासिल कर रही है, इस खबर को पढ़ने के बाद इस बात की पुष्टि होती है की जनता को कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता उसके पीछे राजनेतिक पार्टी का स्वार्थ या भय छिपा होता, आप कहेगे हमे क्या है हम तो फिल्म देखे और भूल जाए, ये भी अच्छी सोच है पर सवाल यहाँ यह है की फिर विरोध कौन कर रहा है?
 
हम जनता तो खुश है टैक्स फ्री से,क्या मुझ जैसे लोगो के पास समय कहा है, विरोध प्रदर्शन के लिए? इसका जवाब है और न दोनों हो सकता अगर धार्मिक या राजनेतिक नेता अपने बात को सार्थक बता कर अगुवाई करे तो जनता साथ देती है,
पी.के फिल्म में एक समुदाय पर ही हँसी का ताना-बन बुना गया है, बल्कि पाखंड तो हर बड़े धर्म मेंलिप्त है उसे भी दिखने की जरुरत थी,किसी विशेष पंथ या समुदाय को निशाना बनाना गलत है,
 इसलिए फिल्म को देश भर से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है

 

Thursday, January 1, 2015

नया साल

सारी दुनिया झूमे एक दिन
सब के कदम थिरके एक ताल से
सब मिलके बोले एक ही भाषा
कहे आया नया साल है

देश-धर्म, जात-पात
किनारे रख के
सब दे बधाई सब को
कहे आया नया साल है

संकल्प बुराई को मिटने
विश्व शांति की तरफ
पहला कदम बढाने को आया अवसर इसवर है
नया वर्ष नए रंगों से भरा हो

सब मिलकर नया साल मनाए..


Rinki

मेहरम

चुप ने ऐसी बात कही खामोशी में सुन  बैठे  साथ जो न बीत सके हम वो अँधेरे चुन बैठे कितनी करूं मैं इल्तिजा साथ क्या चाँद से दिल भर कर आँखे थक गय...