Saturday, November 11, 2017

पिया....



बंद दरवाज़ा देखकर

लौटी है दुआ
आँख खुली तो जाना ख्याव और सच है क्या

धीमे-धीमे दहक रहे है
आँखों में गुजरे प्यार वाले पल
राख हो कर भी सपने
गर्म है
बुझे आंच की तरह

बर्फ में जमे अहसास
मानो धुवा में ठहरे
दिन –रात की तरह

चुपी ओढे बैठी में
चेहरे पर सजाए मुस्कुराहट
प्यार का मोती खोया
मन की गहराईयों में जाने कहा

बंद दरवाज़ा देखकर
लौटी है दुआ


रिंकी















नए साल की दस्तक

 याद करो, वह साल का समय, जब भविष्य दिखाई देता है एक खाली कागज़ की तरह, एक साफ़ कैलेंडर, एक नया मौका। गहरी सफेद बर्फ पर, तुम वादा करते हो नए ...