Monday, January 6, 2020

संधारणीय विकास लक्ष्य: निति आयोग रिपोर्ट 2019


संधारणीय विकास लक्ष्य: निति आयोग रिपोर्ट 2019

निति आयोग ने 30 दिसंबर 2019 को संधारणीय विकास लक्ष्य के परिणाम पर एक रिपोर्ट साझा किया  है।  रिपोर्ट की अवधी 2015 से 2019 ली गई है।  इस रिपोर्ट के अनुसार केरल सबसे अग्रणीय राज्य रहा  है जिसने सभी लक्ष्यों को सफलता से प्राप्त किया है। वही बिहार का प्रदर्शन सबसे ख़राब रहा है , सबसे आखरी पायदान पर। 2019  के सूचकांक के अनुसार भारत को विभिन्न मानदंडों के आलोक में 60 का समग्र स्कोर मिला है. इसका अर्थ यह हुआ कि यह देश निर्धारित लक्ष्यों को लगभग आधे से ज्यादा को  प्राप्त करना बाकी है।
संधारणीय विकास लक्ष्य क्या है इसे समझना जरुरी है।  वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक में ‘2030 सतत् विकास हेतु एजेंडा’ के तहत सदस्य देशों द्वारा 17 विकास लक्ष्य अर्थात् एसडीजी (Sustainable Development goals-SDGs) तथा 169 प्रयोजन अंगीकृत किया  हैं। इसका मुख्या उद्देश्य है की सारे देश का सतत और  सम्पूर्ण विकास करना साथ ही विश्व के पर्यावरण को नुकसान किए बिना विकास को सुनिश्चित करना।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित 17 लक्ष्य, दुनिया के सभी देश ने हस्ताक्षर किया है।  निम्लिखित लक्ष्य ये है।
·         गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति।
·         भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा।
·         सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा।
·         समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना।
·         लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना।
·         सभी के लिये स्वच्छता और पानी के सतत् प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
·         सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना।
·         सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत् आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना।
·         लचीले बुनियादी ढाँचे, समावेशी और सतत् औद्योगीकरण को बढ़ावा।
·         देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना।
·         सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण।
·         स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना।
·         जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करना।
·         स्थायी सतत् विकास के लिये महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग।
·         सतत् उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव-विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना।
·         सतत् विकास के लिये शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही साथ सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेहपूर्ण बनाना ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित हो सके।
·         सतत् विकास के लिये वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्त कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना।

भारत का प्रदर्शन संधारणीय विकास लक्ष्य मे निराशाजनक रहा है।  2019 के रिपोर्ट के अनुसार 162 देशो मे से भारत का स्थान 115 था जो की पड़ोसी  देश नेपाल ,श्रीलंका और भूटान से बहुत पीछे है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स मे भी 117 देश मे भारत का स्थान 102 था जो बहुत बुरा है। ग्लोबल जेंडर इक्वलिटी इंडेक्स में 129 देशों की रैंकिंग में भारत को 95वा  स्थान मिला। यदि अलग-अलग लक्ष्यों को देखा जाए तो पता चलता है कि इन लक्ष्यों में राज्यों की प्रगति सबसे बुरी रही – लैंगिक समानता , टिकाऊ शहर और समुदाय का निर्माण , उद्योग में नवाचार की सुविधा एवं आधारभूत संरचना  तथा भूख का निवारण। ये सभी रैंकिंग देश की स्तिथि को दर्शाता है।  भारत को बहुत अधिक प्रयास करना होगा की विश्व में अपनी रैंकिंग सुधारे यदि नहीं हुआ तो देश का विकास सम्भव नहीं है। आज देश जी.डी.पी निचले स्तर पर है। बेरोज़गारी , महगाई सबसे जायदा और महिलाओ के प्रति  लिंग आधारित हिंसा अपने चरम पर है। निति आयोग को गंभीरता से  निति,योजना और सेवाओं का निर्माण करना होगा।

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