Everyone does have a book in them. Here is few pages of my life, read it through by my stories,poetry and articles.
Sunday, January 12, 2020
Friday, January 10, 2020
Monday, January 6, 2020
मीडिया पर मड़राता खतरा
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) ने 18
अप्रैल, 2019 को पत्रकारों के प्रति बढ़ती हिंसा को दर्शाते हुए वर्ल्ड प्रेस
फ्रीडम इंडेक्स 2019 जारी किया। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2019 के रिपोर्ट के
अनुसार भारत ने 140वा
स्थान पाया है। भारत
की रैंक 2018 में 138वें स्थान से गिरकर पिछले वर्ष से दो अंक नीचे आ गया है। इंडेक्स के
अनुसार, भारत में प्रेस स्वतंत्रता की वर्तमान स्थिति की सबसे बड़ी खासियत
पत्रकारों के खिलाफ हिंसा है जिसमें पुलिस हिंसा, माओवादी द्वारा
हमला, आपराधिक समूह और भ्रष्ट राजनेता शामिल हैं। 2018
में कम से कम छह भारतीय पत्रकार ड्यूटी पर मारे गए।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक,2002 से रिपोर्टर्स
विदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जाता है। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 180
देशों में मीडिया की स्वतंत्रता के स्तर को मापता है। यह मीडिया की स्वतंत्रता के
मूल्यांकन पर आधारित है जो 180 देशों में बहुलवाद, मीडिया
स्वतंत्रता, कानूनी ढांचे की गुणवत्ता और पत्रकारों की सुरक्षा को मापता है।
इसमें प्रत्येक क्षेत्र में मीडिया स्वतंत्रता के उल्लंघन के स्तर के संकेतक भी
शामिल हैं। वैश्विक संकेतक और क्षेत्रीय संकेतक बताते हैं कि दुनिया भर में मीडिया
की स्वतंत्रता के संबंध में गहरी और परेशान करने वाली गिरावट आई है। यह 20
भाषाओं में एक प्रश्नावली के माध्यम से संकलित किया जाता है जो दुनिया भर
के विशेषज्ञों द्वारा पूरा किया जाता है। इस गुणात्मक विश्लेषण का मूल्यांकन अवधि
के दौरान पत्रकारों के खिलाफ हिंसा के दुरुपयोग और कृत्यों पर मात्रात्मक डेटा के
साथ किया जाता है।
इंडिया टुडे पत्रिका के अनुसार 2018 में देश में पत्रकारों पर लगभग 200
बार हिंसक वार किया गया था। इस हमलाओ में ग्यारह पत्रकार मारे गए। स्वतंत्र मीडिया
गणतंत्र देश का मुख्य स्तम्भ माना गया है।
मीडिया हमें अपने आसपास की विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और
आर्थिक गतिविधियों से अवगत कराता है। यह एक दर्पण की तरह है जो हमें जीवन के नंगे
सच और कठोर वास्तविकताओं को प्रकट करता है। एक समाचार मीडिया, चाहे
वह प्रिंट रूप में हो या टीवी / रेडियो, इसका मुख्य काम लोगों को बिना किसी
सेंसरशिप या छेड़छाड़ के निष्पक्ष समाचारों के बारे में सूचित करना है। लोग हमेशा
वास्तविक और ईमानदार समाचार पर भरोसा करते हैं। मीडिया को दो पक्षों का हथियार
माना जाता है। एक जवाबदेह मीडिया अपने विकास के लिए एक मजबूत समर्थन प्रदान करके
राष्ट्र को ऊंचाइयों पर पहुंचा सकता है और एक अस्वीकार्य मीडिया समाज में
अव्यवस्था पैदा कर सकता है। मीडिया लोगो
के विचार को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
"इस पल में हमारे पास स्वतंत्र प्रेस नहीं है, कुछ भी हो सकता
है। एक सत्तावादी या तानाशाह शासन के लिए यह संभव है की लोगो तक खबर न
पहुंचे"। हन्ना
अंद्रेत। के
ये विचार है विश्व मीडिया के बारे में । देश
में मीडिया के प्रति नकारात्मक भावनाओ ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। खबरों की सच्चाई पर अब सवाल उठाने लगे
है। मीडिया हाउस को समझना होगा की दुनियाँ में खबरों को जानने लिए विभिन माध्यम
मोजूद है। सोशल मीडिया के प्रसार ने
असीमित दरवाजा खोल दिया है। खबरो के भीड़
में सच्ची और बनाई गई खबर में फर्क करना मुश्किल हो गया है।
सच को दिखाने वाले हमेशा से खतरे में रहे है,लेकिन सच को पर्दा या ढकने वाले भी
निशाना पर है। इसलिए भी यह जरूरी हो गया है की मीडिया सतर्कता और संवेदनशीलता से
किसी खबर को प्रस्तुत करे। मीडिया की आजादी प्रतिबिंव होता है देश के विकास और लोगो के आवाज़
का।
संधारणीय विकास लक्ष्य: निति आयोग रिपोर्ट 2019
संधारणीय विकास लक्ष्य: निति आयोग रिपोर्ट 2019
निति आयोग ने 30 दिसंबर 2019 को संधारणीय
विकास लक्ष्य के परिणाम पर एक रिपोर्ट साझा किया
है। रिपोर्ट की अवधी 2015 से
2019 ली गई है। इस रिपोर्ट के
अनुसार केरल सबसे अग्रणीय राज्य रहा है
जिसने सभी लक्ष्यों को सफलता से प्राप्त किया है। वही बिहार का प्रदर्शन सबसे ख़राब
रहा है , सबसे आखरी पायदान पर। 2019
के सूचकांक के अनुसार भारत को विभिन्न मानदंडों के आलोक में 60 का
समग्र स्कोर मिला है. इसका अर्थ यह हुआ कि यह देश निर्धारित लक्ष्यों को लगभग आधे
से ज्यादा को प्राप्त करना बाकी है।
संधारणीय विकास लक्ष्य क्या है इसे समझना जरुरी है। वर्ष 2015 में संयुक्त
राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक में ‘2030 सतत् विकास हेतु एजेंडा’ के तहत सदस्य
देशों द्वारा 17 विकास लक्ष्य अर्थात् एसडीजी (Sustainable Development
goals-SDGs) तथा 169 प्रयोजन अंगीकृत किया हैं।
इसका मुख्या उद्देश्य है की सारे देश का सतत और सम्पूर्ण
विकास करना साथ ही विश्व के पर्यावरण को नुकसान किए बिना विकास को सुनिश्चित करना।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित 17 लक्ष्य,
दुनिया
के सभी देश ने हस्ताक्षर किया है।
निम्लिखित लक्ष्य ये है।
·
गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से
समाप्ति।
·
भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा
और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा।
·
सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य,
सुरक्षा
और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा।
·
समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तायुक्त
शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना।
·
लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही
महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना।
·
सभी के लिये स्वच्छता और पानी के सतत्
प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
·
सस्ती, विश्वसनीय,
टिकाऊ
और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना।
·
सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत्
आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना।
·
लचीले बुनियादी ढाँचे, समावेशी
और सतत् औद्योगीकरण को बढ़ावा।
·
देशों के बीच और भीतर असमानता को कम
करना।
·
सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ
शहर और मानव बस्तियों का निर्माण।
·
स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को
सुनिश्चित करना।
·
जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से
निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करना।
·
स्थायी सतत् विकास के लिये महासागरों,
समुद्रों
और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग।
·
सतत् उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय
पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि
क्षरण और जैव-विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना।
·
सतत् विकास के लिये शांतिपूर्ण और
समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही साथ सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी,
जवाबदेहपूर्ण
बनाना ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित हो सके।
·
सतत् विकास के लिये वैश्विक भागीदारी
को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्त कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना।
भारत का
प्रदर्शन संधारणीय विकास लक्ष्य मे निराशाजनक रहा है। 2019 के रिपोर्ट के अनुसार 162
देशो मे से भारत का स्थान 115 था जो की पड़ोसी देश नेपाल ,श्रीलंका और
भूटान से बहुत पीछे है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स मे भी 117 देश मे भारत का
स्थान 102 था जो बहुत बुरा है। ग्लोबल जेंडर इक्वलिटी इंडेक्स में 129
देशों की रैंकिंग में भारत को 95वा
स्थान मिला। यदि अलग-अलग लक्ष्यों को देखा जाए तो पता चलता है कि इन
लक्ष्यों में राज्यों की प्रगति सबसे बुरी रही – लैंगिक समानता , टिकाऊ
शहर और समुदाय का निर्माण , उद्योग में नवाचार की सुविधा एवं
आधारभूत संरचना तथा भूख का निवारण। ये सभी
रैंकिंग देश की स्तिथि को दर्शाता है।
भारत को बहुत अधिक प्रयास करना होगा की विश्व में अपनी रैंकिंग सुधारे यदि
नहीं हुआ तो देश का विकास सम्भव नहीं है। आज
देश जी.डी.पी निचले स्तर पर है। बेरोज़गारी , महगाई सबसे
जायदा और महिलाओ के प्रति लिंग आधारित हिंसा
अपने चरम पर है। निति आयोग को गंभीरता से
निति,योजना और सेवाओं का निर्माण करना होगा।
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