रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) ने 18
अप्रैल, 2019 को पत्रकारों के प्रति बढ़ती हिंसा को दर्शाते हुए वर्ल्ड प्रेस
फ्रीडम इंडेक्स 2019 जारी किया। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2019 के रिपोर्ट के
अनुसार भारत ने 140वा
स्थान पाया है। भारत
की रैंक 2018 में 138वें स्थान से गिरकर पिछले वर्ष से दो अंक नीचे आ गया है। इंडेक्स के
अनुसार, भारत में प्रेस स्वतंत्रता की वर्तमान स्थिति की सबसे बड़ी खासियत
पत्रकारों के खिलाफ हिंसा है जिसमें पुलिस हिंसा, माओवादी द्वारा
हमला, आपराधिक समूह और भ्रष्ट राजनेता शामिल हैं। 2018
में कम से कम छह भारतीय पत्रकार ड्यूटी पर मारे गए।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक,2002 से रिपोर्टर्स
विदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जाता है। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 180
देशों में मीडिया की स्वतंत्रता के स्तर को मापता है। यह मीडिया की स्वतंत्रता के
मूल्यांकन पर आधारित है जो 180 देशों में बहुलवाद, मीडिया
स्वतंत्रता, कानूनी ढांचे की गुणवत्ता और पत्रकारों की सुरक्षा को मापता है।
इसमें प्रत्येक क्षेत्र में मीडिया स्वतंत्रता के उल्लंघन के स्तर के संकेतक भी
शामिल हैं। वैश्विक संकेतक और क्षेत्रीय संकेतक बताते हैं कि दुनिया भर में मीडिया
की स्वतंत्रता के संबंध में गहरी और परेशान करने वाली गिरावट आई है। यह 20
भाषाओं में एक प्रश्नावली के माध्यम से संकलित किया जाता है जो दुनिया भर
के विशेषज्ञों द्वारा पूरा किया जाता है। इस गुणात्मक विश्लेषण का मूल्यांकन अवधि
के दौरान पत्रकारों के खिलाफ हिंसा के दुरुपयोग और कृत्यों पर मात्रात्मक डेटा के
साथ किया जाता है।
इंडिया टुडे पत्रिका के अनुसार 2018 में देश में पत्रकारों पर लगभग 200
बार हिंसक वार किया गया था। इस हमलाओ में ग्यारह पत्रकार मारे गए। स्वतंत्र मीडिया
गणतंत्र देश का मुख्य स्तम्भ माना गया है।
मीडिया हमें अपने आसपास की विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और
आर्थिक गतिविधियों से अवगत कराता है। यह एक दर्पण की तरह है जो हमें जीवन के नंगे
सच और कठोर वास्तविकताओं को प्रकट करता है। एक समाचार मीडिया, चाहे
वह प्रिंट रूप में हो या टीवी / रेडियो, इसका मुख्य काम लोगों को बिना किसी
सेंसरशिप या छेड़छाड़ के निष्पक्ष समाचारों के बारे में सूचित करना है। लोग हमेशा
वास्तविक और ईमानदार समाचार पर भरोसा करते हैं। मीडिया को दो पक्षों का हथियार
माना जाता है। एक जवाबदेह मीडिया अपने विकास के लिए एक मजबूत समर्थन प्रदान करके
राष्ट्र को ऊंचाइयों पर पहुंचा सकता है और एक अस्वीकार्य मीडिया समाज में
अव्यवस्था पैदा कर सकता है। मीडिया लोगो
के विचार को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
"इस पल में हमारे पास स्वतंत्र प्रेस नहीं है, कुछ भी हो सकता
है। एक सत्तावादी या तानाशाह शासन के लिए यह संभव है की लोगो तक खबर न
पहुंचे"। हन्ना
अंद्रेत। के
ये विचार है विश्व मीडिया के बारे में । देश
में मीडिया के प्रति नकारात्मक भावनाओ ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। खबरों की सच्चाई पर अब सवाल उठाने लगे
है। मीडिया हाउस को समझना होगा की दुनियाँ में खबरों को जानने लिए विभिन माध्यम
मोजूद है। सोशल मीडिया के प्रसार ने
असीमित दरवाजा खोल दिया है। खबरो के भीड़
में सच्ची और बनाई गई खबर में फर्क करना मुश्किल हो गया है।
सच को दिखाने वाले हमेशा से खतरे में रहे है,लेकिन सच को पर्दा या ढकने वाले भी
निशाना पर है। इसलिए भी यह जरूरी हो गया है की मीडिया सतर्कता और संवेदनशीलता से
किसी खबर को प्रस्तुत करे। मीडिया की आजादी प्रतिबिंव होता है देश के विकास और लोगो के आवाज़
का।
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