चूल्हा मिट्टी का
मिट्टी तालाब कीतालाब ठाकुर का ।
भूख रोटी की
रोटी बाजरे की
बाजरा खेत का
खेत ठाकुर का ।
बैल ठाकुर का
हल ठाकुर का
हल की मूठ पर हथेली अपनी
फ़सल ठाकुर की ।
कुआँ ठाकुर का
पानी ठाकुर का
खेत-खलिहान ठाकुर के
गली-मुहल्ले ठाकुर के
फिर अपना क्या ?
गाँव ?
शहर ?
देश ?
आज के सन्दर्भ में ठाकुर भी बदल गया है और कुआं भी | पर बात अपनी जगह बनी हुई है |
ReplyDeleteSahi kaha aapne sushil Ji.
ReplyDeleteI'm grateful for the positive influence your blog has on my mindset.
ReplyDeleteHi, play. I'm glad you appreciate.
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