Showing posts with label # Kabira best poems. Show all posts
Showing posts with label # Kabira best poems. Show all posts

Friday, January 27, 2023

सुनो कबीरा।

 

सुनो  कबीरा।

जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही   सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही

अर्थ- जब मैं अपने अहंकार में डूबा था, तब प्रभु को न देख पाता था। लेकिन जब गुरु ने ज्ञान का दीपक मेरे भीतर प्रकाशित किया तब अज्ञान का सब अंधकार मिट गया। ज्ञान की ज्योति से अहंकार जाता रहा और ज्ञान के आलोक में प्रभु को पाया।


जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।
अर्थ- सज्जन की जाति न पूछ कर उसके ज्ञान को समझना चाहिए। तलवार का मूल्य होता है न कि उसकी मयान का उसे ढकने वाले खोल का।

जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय |
मरना पहिले जो मरै, अजय अमर सो होय ||
अर्थ- जीते जी ही मरना अच्छा है, यदि कोई मरना जाने तो। मरने के पहले ही जो मर लेता है, वह अजर-अमर हो जाता है। शरीर रहते-रहते जिसके समस्त अहंकार समाप्त हो गए, वे विजयी ही जीवन मुक्त होते हैं।

शब्द विचारी जो चले, गुरुमुख होय निहाल |
काम क्रोध व्यापै नहीं, कबूँ न ग्रासै काल ||
अर्थ- गुरुमुख शब्दों का विचार कर जो आचरण करता है, वह कृतार्थ हो जाता है। उसको काम क्रोध नहीं सताते। वह कभी मन कल्पनाओं के मुख में नहीं पड़ता।

बाबा नीम करोरी महाराज

  बाबा नीम करोरी महाराज एक महान साधु और हनुमान भक्त थे , जिन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी आस्था और सेवा के मा...