ना कभी सवाल पूछा
ना कभी प्रमाण माँगा
बस कहने भर से साथ
चल देते थे
मेरे चेहरे को
किताब
की तरह पढ़ लेते थे
दुनिया के तानो को
हम साथ में मिलकर
सह लेते थे
मान –अपमान के तराजू
में कभी तौला नहीं
बस हँस के सहारा
दिया
करते थे
वो दोस्त ही थे
जिनके साथ हम बेफिक्र
जीया करते थे
ज़िन्दगी का सच
हार का गम सब भूल के
खुलकर उनके साथ
रहा करते थे
वो दोस्त ही थे
जो बिना शर्त
साथ दिया करते थे
लड़ते थे झगड़ते थे
मान भी झट से जाते
थे
वो दोस्त ही थे
जिनके साथ हम बेफिक्र
जीया करते थे
रिंकी