Sunday, March 24, 2013

एक थका दिन

मन थका ,तन थका
सुबह का पलछिन थका
चिडियों की चहचहाहट भी आती मध्यम सी
हवा की ठंडक कुछ गरम
चुपचाप शांत बैठा मेरा मन है
आंखे ठहरी एक जगह विचार भी दुमिल हुए
मदहोशी मैं सपनो के ताने-बने
 मैं खोई
कभी पिया की बातो मैं खोई
भीड़ मैं शांत मेरे मन
खूबसूरती मैं झूलता थका मन
थका मन...

Friday, March 15, 2013

मेरा अक्स


गौर से देखा तुम्हे मुझे पहचाने से लगे,रुक कर सोचा तो समझ पाई
तुम्हे मैं पहचानती हूँ,
शायद तुम्हे जानती हूँ
हो वही जो सही-गलत मैं उलझे रहते हो
मुझे अन्दर से झिन्झोर कर सावल करते हो
किसी सवाल के जवाब के तालश मैं निकल पड़ते हो
सवाल का जवाब ना मिलने पर अन्दर ही अन्दर गुटते हो
तुम मैं हूँ या मैं तुम हूँ

असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...