आज-काल मेरा सारा समय इसी सोच में डूबी रहती हूँ, की ऐसा क्या करूँ की मुझे अपने-आप को देश-भक्त या
देशप्रेमी साबित करने के लिए बार-बार इंतिहान नहीं देना पड़े, क्या मैं कुछ ऐसा कर
सकती हूँ? की मुझे किसी व्यक्ति विशेष या शासन कर रही सरकार के द्वारा तैय किए
पैमाने पर गुजरना न पड़ेI जब कभी भी किसी शासक को लगता है की देश की बहु-संख्या आबादी को एक ऐसे मायाजल में फंसा
दिया जाए की उनकी निर्णय लेने की क्षमता काम करना बंद कर दे I
देश का नागरिक चाह कर भी बोल न सके यदि बोले भी
तो पूरा और सही न बोले ,बस देश में देशप्रेम और देशभक्ति का नारा
बुलंद किया जाए, और कुछ भी किया जा सकता है, क्यूंकि कोई भी देशद्रोही नहीं कहलाना चाहता, इसलिए चुप रहने में ही भलाई
जान पड़ती है I अक्सर चुप रहना या ना बोलना,बोलने से अधिक खतरनाक साबित होता है,
और मैं समझ नहीं पाती की लोग शौर मचाने को उपद्रव या देशद्रोह से कैसे जोड़ लेते है I मुझे जहाँ तक पता है दुनिया में सबसे ज्यदा शांति
सिर्फ कब्रस्थान में होती है जहाँ कोई जिंदा नहीं होता I
किसी भी भीड़ पर शासन करने के कई तरीके है, एक भीड़ का पेट भरा रहे,
उसके पास काम रहे और एक ऐसी शिक्षा प्रणाली हो जिससे भीड़ को लगे वो शिक्षित बन रहा
है I दूसरा किसी भी अनजाने डर से भीड़ डरा रहे, “डर बना रहना चाहिए” क्योंकी इससे
भीड़ में एकता बनी रहती हैI दुनिया भर में डर की राजनीती काम कर रही है, अमेरिका
में ट्रूम की विजय, रूस में पुतिन का शासन और नोर्थ कोरियाI
किसी भी देश की सता जनता को नियंत्रित करने के लिए एक व्यक्ति को हीरो
बनती है, वो हीरो नहीं जो हम सिनेमा में देखते है, वो हीरो जिसे हँसना और रोना
दोनों आता हो, जो अपने मन की बात कहता हो पर आपकी सुनता नहीं, मुझे हेरोपंती से
कोई परहेज नहीं, पर जब कुछ ताकते परदे के पीछे से देश को चलाने लगे तो सोचना का मन
करता हैI
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में, खाने-पीने, खर्च करने के पैमाना तैय
किया जा रहा है, लोग लाइन की जदोजहद में मर रहे है, पर फिर भी कुछ लोग जयकरा करने
से नहीं शरमाते, रोज़ नया तमाशा हो रहा है और हम तमाशबीन बने हुए हैI
क्या देश के नागरिक को कभी भी संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को पूरी
तरह पा सकेगे? मेरा पक्ष बस इतना है यदि कोई भी मेरे अधिकार क्षेत्र में हस्तछेप
करे और मेरे सवाल पूछने पर मुझे देशद्रोही कहे तो मुझे देशद्रोही कहलाना पसंद है, देश
का संविधान ही देश के नागरिक की
रक्षा सुनिचित करता है, कोई दल या शासक नहीं I
Rinki