हर बार यही होता है
बीते कल का नमक
आज में धुल जाता है
और रिश्तो का स्वाद बदल जाता है
मैं शहद में डुबो कर
शब्द कहूं तो भी,
नमक का असर नहीं जाता है
और फिर रिश्तो का स्वाद बदल जाता है
किसी रिश्ते, नाम या रस्म का
मोहताज नही जो हमारे बीच में है
जो भी है, मेरे भीतर चुभता रहता है
और रिश्तो का स्वाद बदल जाता है
Rinki
क्या बात है रिंकी जी.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.