(विश्व काव्य
दिवस के उपलक्ष में)
कागज़ पर
सियाही से
उकेरी हुई
है
कविता
समय चुरा के
सब से छुप कर
अपने आप से
बात करना है कविता
कुछ न कहकर
आंसुओं में शब्द डुबोकर
लिखना है
“कविता”
न दिखे कभी
उनसे मिलने जुलने का
एक मात्र माध्यम
कविता
दोस्ती निभाते है
बुरी से बुरी कविता को
भी
अच्छी रचना बताते है
उन सब दोस्तों को सलाम करती
मेरी कविता
रिंकी
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