यही होता है, यही होता रहेगा
ये वो तंज है
जो दर्शाता है, कैसे तुम्हारी
बुद्धि बंद है
बिना जाने नियम और रिवाज़
पालते हो
क्यों नहीं इसे तर्क से तौलते हो
अपने ही सवाल से क्यों
दौड़ते हो ?
स्वार्थ इतना गहरा है की
सब जानते हुई भी
क्यों रीती -रिवाज़ के
चक्की में अपनों को ही
धकेलते हो
कुछ देर , कुछ देर और
ये किला भी, ध्वस्त होगा
कुछ है, पागल जो
आवाज़ बन बोलते है
सुनो या अनसुना करो
शोर तो प्रचंड होगा
रीती -रिवाज़ के नाम का
ढोंग, अब ख़तम होगा
रिंकी
ये वो तंज है
जो दर्शाता है, कैसे तुम्हारी
बुद्धि बंद है
बिना जाने नियम और रिवाज़
पालते हो
क्यों नहीं इसे तर्क से तौलते हो
अपने ही सवाल से क्यों
दौड़ते हो ?
स्वार्थ इतना गहरा है की
सब जानते हुई भी
क्यों रीती -रिवाज़ के
चक्की में अपनों को ही
धकेलते हो
कुछ देर , कुछ देर और
ये किला भी, ध्वस्त होगा
कुछ है, पागल जो
आवाज़ बन बोलते है
सुनो या अनसुना करो
शोर तो प्रचंड होगा
रीती -रिवाज़ के नाम का
ढोंग, अब ख़तम होगा
रिंकी