Wednesday, September 30, 2020

Saturday, September 26, 2020

या अल्लाह ! कोरोना के कहर से बचा अल्लाह

 
अज़ान के आखिर में एक दुआ हमेशा सुनाई देती है।  " या अल्लाह ! कोरोना के कहर से बचा अल्लाह, सब पर अपना करम बरसा अल्लाह "  नमाज़ अदा  करने के  बाद मौलवी  मोहल्ले की गालियो में निकल जाता और बिना मास्क पहने हर किसी को मास्क पहनने को कहता।  ये रोज़ की दिनचर्या है उसकी।

आज जुम्मा का दिन है बहुत से नमाज़ी इक्कठा हुए है। उनमे से बहुत से लोगो ने मास्क नहीं पहना था , मौलवी साहब ने ऐतराज़ जताया और सब को अपना मुँह और नाक ढकने को कहाँ। सब उनकी बात से  राज़ी हुए नमाज़ अदा कर अपने घर चले गए।

एक बच्चे ने कहा क्या सब अपनी बात सुनते है ? है, बस वही बात मानते है जो उनके फायदे की हो नहीं तो कोई किसी की नहीं सुनाता।

ऐसे क्यों , क्यूंकि तुम बच्चे हो और दिल के सच्चे हो।

आप क्या मेरे साथ मेरे पुराने मोहल्ले में चलेगें वहां भी नमाज़ के बाद सबको समझाना। क्या समझाना है, छोटू ?

सबसे को बताना की आपस में लड़ना सही नहीं है , इससे घर जल जाते है ,स्कूल बंद हो जाता है और अपना घर छोड़ के गांव आना पड़ता है। मैं जब दिल्ली में था तो स्कूल जाता था, घर में दोस्तों के साथ खेलता था सब ठीक था।

एक दिन कुछ लोग गली में आये चिल्लाने लगे मारो गदारो को , सब जगह आग लगा दिया सब जल गया मेरा घर भी पापा को भी मारा। सरदार अंकल ने सब को अपने घर पर रखा और बचाया। मेरे दोस्त राहुल का भी दुकान तोड़ दिया। अगर आप नमाज़ के बाद सबको ये बात कहेंगे की लड़ाई से सिर्फ नुकसान ही होता है तो मैं फिर दिल्ली अपने घर जा सकूँगा।  बच्चे की बात सुन वो चुपचाप उसे देखता रहा, दोनों साथ-साथ एक दुकान पर रुके कुछ खरीदा और फिर चल पड़े।

उसने पूछा ये ग़दर क्या होता है मोलवी दादा ?  

Sunday, September 20, 2020

A man who has dug out the canal single-handedly

 

“Laungi Bhuiyan” a man who has dug out the canal single-handedly in Bihar, India. He carved out a three-kilometre long canal to take rainwater coming down from nearby hills to fields of his village, Kothilawa in Lahthua area of Gaya in Bihar.

  

"For the last 30 years, I would go to the nearby jungle to tend my cattle and dig out the canal. No one joined me in this endeavor... Villagers are going to cities to earn a livelihood but I decided to stay back”- Laungi Bhuiyan

 

 He helped entire community, all will be benefited get water for cattle in summer.

He showed the power of an individual, strong determination and passion. Laungi Bhuiyan, with strong will powered succeeded, but in the remote villages there are many those are still wait for help.





Friday, September 4, 2020

Motivation story by Budhha-चरित्रहीन

 एक बार महात्मा बुद्ध किसी गांव में गए। वहां एक स्त्री ने उनसे पूछा कि आप तो किसी राजकुमार की तरह दिखते हैं, आपने युवावस्था में गेरुआ वस्त्र क्यों धारण किया है?

बुद्ध ने उत्तर दिया कि मैंने तीन प्रश्नों के हल ढूंढने के लिए संन्यास लिया है।

बुद्ध ने कहा- हमारा शरीर युवा और आकर्षक है, लेकिन यह वृद्ध होगा, फिर बीमार होगा और अंत में यह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी और मृत्यु के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है।
बुद्ध की बात सुनकर स्त्री बहुत प्रभावित हो गई और उसने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया।

जैसे ही ये बात गांव के लोगों को मालूम हुई तो सभी ने बुद्ध से कहा कि वे उस स्त्री के यहां न जाए, क्योंकि वह स्त्री चरित्रहीन है।

बुद्ध ने गांव के सरपंच से पूछा कि क्या ये बात सही है? सरपंच ने भी गांव के लोगों की बात में सहमती जताई। तब बुद्ध ने सरपंच का एक हाथ पकड़ कर कहा कि अब ताली बजाकर दिखाओ।

इस पर सरपंच ने कहा कि यह असंभव है, एक हाथ से ताली नहीं बज सकती।

बुद्ध ने कहा कि ठीक इसी प्रकार कोई स्त्री अकेले ही चरित्रहीन नहीं हो सकती है। यदि इस गांव के पुरुष चरित्रहीन नहीं होते तो वह स्त्री भी चरित्रहीन नहीं होती। गांव के सभी पुरुष बुद्ध की ये बात सुनकर शर्मिदा हो गए।

Motivation stories by Budha-गालियों का प्रभाव

 महात्मा बुद्ध एक बार एक गांव से गुजरे। वहां के कुछ लोग उनसे शत्रुता रखते थे। उन्होंने उन्हें रास्ते में घेर लिया। बेतहाशा गालियां देकर अपमानित करने लगे। बुद्ध सुनते रहे। जब वे थक गए तो बोले, आपकी बात पूरी हो गई हो, तो मैं जाऊं। वे लोग बड़े हैरान हुए। उन्होंने कहा- हमने तो तुम्हें गालियां दीं, तुम क्रोध क्यों नहीं करते?


बुद्ध बोले- तुमने देर कर दी। अगर दस साल पहले आए होते, तो मैं भी तुम्हें गालियां देता। तुम बेशक मुझे गालियां दो, लेकिन मैं अब गालियां लेने में असमर्थ हूं। सिर्फ देने से नहीं होता, लेने वाला भी तो चाहिए। जब मैं पहले गांव से निकला था, तो वहां के लोग भेंट करने मिठाइयां लाए थे, लेकिन मैंने नहीं लीं, क्योंकि मेरा पेट भरा था। वे उन्हें वापस ले गए।

बुद्ध ने थोड़ा रुककर कहा- जो लोग मिठाइयां ले गए, उन्होंने मिठाइयों का क्या किया होगा? एक व्यक्ति बोला - अपने बच्चों, परिवार और चाहने वालों में बांटी होंगी। बुद्ध बोले- तुम जो गालियां लाए हो, उन्हें मैंने नहीं लिया। क्या तुम इन्हें भी अपने परिवार और चाहने वालों में बांटोगे..?
बुद्ध के सारे विरोधी शर्मिदा हुए और वे बुद्ध के शिष्य बन गए।

फैज अहमद फैज

 

शायर: फैज अहमद फैज

वो लोग बहुत खुशकिस्‍मत थे
जो इश्‍क को काम समझते थे
या काम से आशिकी रखते थे
हम जीते जी नाकाम रहे
ना इश्‍क किया ना काम किया
काम इश्‍क में आड़े आता रहा
और इश्‍क से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आकर हमने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया

असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...