Sunday, July 4, 2021

जब ख़ुदा से लव लगाई जाएगी- sanjar gazipuri

 जब ख़ुदा से लो लगाई जाएगी

फिर दुआ कब कोई ख़ाली जाएगी

ताकते हैं दिल वो मेरा बार बार

क्या कोई हसरत निकाली जाएगी

आँख मिलते ही किसी मा'शूक़ से

फिर तबीअ'त क्या सँभाली जाएगी

गर कभी चमकेगी वो बर्क़-ए-जमाल

आँख फिर कब उस पे डाली जाएगी

हाय कब होगा उन्हें मेरा ख़याल

आह बेकस की ख़ाली जाएगी

छोड़िए अब शर्म ये फ़रमाइए

हसरत दिल की कब निकाली जाएगी

सोंंच कर ये उन को छेड़ा हम ने आज

मुँह से उन के कुछ दुआ ली जाएगी

कम-सिनी की ज़िद जवानी में भी है

इन की कब ये ख़ुर्द-साली जाएगी

सख़्त-जाँ 'संजर' हुआ है इश्क़ में

तेग़ अब क़ातिल की ख़ाली जाएगी

8 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलमंगलवार (6-7-21) को "जब ख़ुदा से लो लगाई जाएगी "(चर्चा अंक- 4117) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  2. बहुत सुन्दर रचना रिंका जी…एक प्रश्न है मन में कि लो या लौ या लव तीनों में सही क्या है ?

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    1. उषा जी , ये नज़म मशहूर शायर संजर गाजीपुरी जी का है, मेरे पास आपके सवाल का कोई जवाब नहीं है। माफ़ कीजिए।

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  3. Replies
    1. विश्वमोहन जी,आपका बहुत धन्यवाद

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  4. बहुत सुंदर सृजन।
    सादर

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  5. अनीता जी,आपका बहुत धन्यवाद

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