Saturday, February 19, 2022

कभी सोचा है

 क्यों आग से खेलते है?

जब हाँथ को जलना ही है

क्यों हम किसी के आगे -पीछे घूमते है?

जब अकेले ही सफर में है

क्यों हम दर्द को सहते हुए भी किसी

के साथ रहने चाहे

जब पता है की दुसरो में ख़ुशी देखना

बेमानी ही है।

 

दिन में परछाई क्यों ढूँढ़ते हो ?

जब रात में साया भी घूम है

पुराने रास्तो के साथ -साथ

चलना ही क्यों है ?

जब पता है की वो, पुराने

मंज़िल तक ही लेकर जाते है।

 

कभी सोचा है क्या ?

तुम्हारी सोच भी अपनी है क्या?

जो तुम देख रहो हो खुली आँखों से

हकीकत और धोके में फर्क

देखते हो क्या ?

क्यों सब जैसा बनाना है

अपने जैसा बनाना बुरा है क्या ?

 

पिंजरा उम्मीदों का है

सपनो को खोना का है

अकेले होने का  है।

सोचा कभी है क्या ,

यही सच है क्या?

 

क्या कभी अपने पंख देखा है?

उड़ते हुए महसूस किया है

कभी खुद को भी तलाशा है?

अपने भीतर भी कभी झाँका है क्या?

सोचा कभी है क्या ,

यही सच है क्या?

 

 

रिंकी

Thursday, February 3, 2022

एक अकेला दिल

चांदनी रात

कॉफ़ी के साथ तुम्हारी बात 

एक रोमांटिक लांग ड्राइव

कंबल में लिपटे के साथ

एक अकेला दिल

कुछ ऐसी  ही हसरत के साथ।

 


कोई  खुद से भी खास

दोस्त से बढ़ कर

अपना हो जैसा

सिहरन भरी सर्दी में

धुप की गर्माहट का एहसास।

एक अकेला दिल

कुछ ऐसी ही हसरत के साथ।

 

कुछ पुराने  किस्से

टूटा हुआ वादा

कल की यादो  से डरा

खुद में ही छुपा

दर्द से गुजरने को फिर से तैयार

एक अकेला दिल

कुछ ऐसी ही हसरत के साथ। 

 

 

दिल के सफर में

मेरा वादा है

एक अविस्मरणीय पल का

दो अलग शख्स के एक साथ का

कुछ ऐसी ही हसरत के साथ

एक अकेला दिल।

 

रिंकी

 

असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...