सुनो! बांसुरी की उदासी भरी आवाज़ को,
जो शिकवा करती है बिछड़ने का दर्द भरा।
हर से अलग होकर, हर हरदम जलता हूँ मैं,
हर आग में जलकर, हर को पुकारता हूँ मैं।
जिसके हाथ से निकला, उसी की बाँहों में लौटना चाहता हूँ,
पहले के साथी खोकर, दुखी हूँ, बेचैन हूँ।
मैंने हर आग सह ली, हर दर्द झेला,
फिर भी न मिला वो, जिसके बिना अधूरा हूँ।
Rumi