ठंड का मिज़ाज न जाने
कैसा है
बंगले वाले लोगो से ठण्ड
कुछ अलग से पेश आती है
बिना घर वालो से कुछ अलग
से पेश आती है
ठण्ड का मिजाज़ न जाने
कैसा है....
जिनके पास कंबल,कोट और
हीटर है
ठण्ड उन्हें क्यों
ज्यादा सताती है,
जो तन पर कपड़े को तरसे
क्या?
ठण्ड उन्हें नहीं चुभती
सर्द रातो में खुले
असमान के नीचे सिमट कर सोते लोगो का
ठण्ड से दोस्ती का
रिस्ता लगता है
जब घर वाले साधन संपन्न
होने के वावजूद अपने घरो में
ठिठुर रहे होते है, बिना
घर वाले
ठण्ड को अपने पास बैठाए
सोते है
सड़क या दूर किसी गरीब
गाँव के बच्चे
ठण्ड में भी आधे बदन
घूमते है
तो सोचती हूँ न जाने
ठण्ड का मिजाज़ कैसा है
इन्सान की हेसियत देखकर
काम या अधिक लगती है
कोई आग ताप कर बदन गरम
करता है
किसी की पेट की आग बदन
को हमेशा गरम रखती है
ठंड का मिज़ाज न जाने
कैसा है?
रिंकी...
winter is sane for everyone
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