Everyone does have a book in them. Here is few pages of my life, read it through by my stories,poetry and articles.
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असली परछाई
जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...
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तूने खूब रचा भगवान् खिलौना माटी का इसे कोई ना सका पहचान खिलौना माटी का वाह रे तेरा इंसान विधाता इसका भेद समझ में ना आता धरती से है इसका ना...
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तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ समझ न इनको वस्त्र तू ये बेड़ियां प...
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मेरे सपनो को जानने का हक रे क्यों सदियों से टूट रही है इनको सजने का नाम नहीं मेरे हाथों को जानने का हक रे क्यों बरसों से खली पड़ी हैं इन्हें...
Fabulous :)
ReplyDeleteThank for your comment
Deletebahut khub rinki ji
ReplyDeleteBahut- Bhaut Shukriya Maninder Ji
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