जमीन पर
एक लकीर खीची
इन्सान
चले अपने-अपने ओर
एक ने
कहा पाक जमीन
दुसरे ने
कहा भारत महान
बैर
दोनों ने पाला
कुछ खास
लोगो ने कभी
नफरत की
आग को बुझने नहीं दिया
जमीन पर खीची
लकीर पर
हियासत
चलती रही
कुछ
परिवार लकीर के साथ रहते है
देखा है
उन्होंने
नफरत का
अंजाम
बंदूक से
चली गोली ने धर्म, बच्चे और बड़े
का फर्क
ना जाना
बस अपना
काम कर गई
घर दोनों
तरफ उजड़े
बच्चो की
रोने की आवाज़
एक जैसी
लगती है
भूखे पेट
और उजड़े खेत
एक जैसे
ही देखते है
जमीन पर खीची
लकीर
आज आग
उगल रही
रिंकी
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