भारत भाग्य विधाता- गणतंत्र दिवस
एक और दिन अपने देश पर अभिमान का या सिर्फ
परिवार या दोस्तों के साथ पार्क में घुमाने और पिकनिक मनाने का, इस सवाल का जवाब
भारत का भाग्य विधाता ही दे सकता हैI आप सोच रहे होगे मैं किस भाग्य विधाता के बारे में बात कर रहीं हूँI हमारे देश में नेता, धार्मिक गुरु, क्रिकेट खिलाडी और अभिनेता भी देश का
भाग्य विधाता समझा जाता है, क्यूंकि इन गणमान्य हस्तियों को किसी भी संविधान,
कानून और नियम से बांधा नहीं जा सकता हैI मैं यहाँ बात कर रही हूँ आपकी और मेरी, उस हर आम इन्सान की जो इस देश में
रहता है, जिसके हाँथ में अपना नेता चुनने की ताकत है, पर ये भारत का भाग्य-विधाता
६८ साल से अपनी पूरी ताकत को कभी इस्तमाल कर ही न सका, इसके पीछे करण कई है जिसे
सब जानते तो है, कारण कोई भी हो पर परिणाम के स्वरुप आज भी देश की समस्या वही है
जो आज से ६८ साल पहले थीI
भारत का संविधान विश्व का सबसे अधिक विस्तृत है
और साथ में सामजिक सुधारो की तरफ़ अग्रसर है, देश का संविधान सभी नागरिको को एक
सामान अधिकार प्रदान करता हैI गणतंत्र दिवस, लोकतंत्र का पर्व है, जिसे सभी असमानता को भूल कर मानना
चाहिएI
लोकतंत्र में नागरिक की भागीदारी
आज देश का नागरिक आपने-आप को आम नागरिक कहलने
में गर्व महसूस करता है, लेकिन सोचिए हम जैसा ही कोई देश के लिए शहीद होता हैI हम ही थे जो अपने पैसे के लिए ख़ुशी-खुशी लाइन में खड़े रहे, बिहार में
नशाबंदी के समर्थन में अपने छोटे बच्चो भी खड़ा कर दिया, गुजरात में भी
राष्ट्रीयगान का विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए खड़े रहे, तो कुल मिलकर ये समझे की
चेहरा किसी का भी हो पर भीड़ देश का आम नागरिक ही बनता है, जिसके साथ भीड़ है वही
शक्तिशाली है, चाहे वो ट्रम्प हो या नार्थ कोरिया का शासकI एक महान देश का नागरिक होने के नाते हमारी बहुत सी जिम्मेदारी हैI देश के नाम को कभी नीचा न नहीं होने दे, देश को स्वच्छा रखे और अपनी शक्ति
को पहचने और सही नेता चुनेI
हमारे राष्ट्रीयगान में एक बेहद सुन्दर
पंक्ति है “ भारत भाग्य-विधाता” कौन है ये,
भारत भाग्य-विधता, वो हम हैI देश का नागरिक जिसे संविधान के द्वारा ताकत दिया जाया है, देश का भाग्य
बनाने का, अगली बार जब भी राष्ट्रीयगान
सुने अपनी शक्ति को पहचानेI
रिंकी
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