Thursday, May 25, 2017

लिखना छोड़ दिया


सोचतेसोचते महीनो निकल गए

कुछ लिखा नहीं मैंने

विचार,विषय,प्रेरणा और कहानियाँ

मेरे चारो ओर चक्कर लगते रहे



मेरे दिमाग और दिल दोनों ने

हमेशा कहा लिखो नहीं तो

तुम्हारा दम घुट जायेगा

लिखो नहीं तो तुम टूट के मिट जाओगे

लिखो नहीं तो दुनिया तुम्हे भुला देगी

तुम्हारा अस्तित्व मिट जाएगा

लिखना तुम्हारी जरूरत है



मैं फिर भी कलम को दूर रख

भूल गया



गर्मी की एक सोती दोपहर में

लगा मैं मर गया हूँ

तभी तो मैंने सोचना और अभिव्यक्त करना छोड़ दिया है

मैंने भी शायद एक अच्छा अनुशासनशील इंसान

बनने के लिए सवाल करना छोड़ दिया

अपनी ताकत लिखना छोड़ दिया



और



आज फिर मैं जिन्दा हूँ

अपनी कलम के साथ



Rinki

No comments:

Post a Comment

Thanks for visiting My Blog. Do Share your view and idea.

असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...