आज-कल बेवाक
लिखनेवाले डरे से नज़र आते है,उनके रिश्तेदार,चाहनेवाले उन्हें सलाह देते नहीं थकते
की सभाल कर लिखा करो, पर लेखक बेचारा दुखी सताया हुआ प्राणी लिखे तो “वो” मर देगे
न लिखे तो खुद मर जाए करे तो क्या करे? ऐसा नहीं है की इस देश में पहली बार किसी
की हत्या की गई है, हमारे पुराणों में भी लिखा है “ सवाल हत्या करते है” अब ये बात
किस संदर्भ में लिखी गई थी पता नहीं पर इसका प्रमाण तो है की अगर आप सवाल करेगे तो
मरेगेI
दुनिया में यह
पहली बार नहीं हो रहा है,की किसी विचारक की हत्या की गई हो अगर आपके विचार किसी की
कमाई का जरिया,जनता,ज़मीन और सत्ता को बदलने की ताकत रखता है तो आपक मरना तय है,
फिर कोई कानून,पुलिस आपको बचा नहीं सकतीI कुछ बुद्धिजीवियों को लगता है की सारा खेल किसी अमुक
धर्म के लोगो का है, शायद ऐसा ऊपर से देखने से लगता हो पर पूरा सच बहुत गहरे तह में छिपा हैI किसी
के विचार अगर किसी भी ऐसे वयवस्था को चुनोती देती है जिससे समाज में क्रांति आ जाए
उस विचार को मार दिया जाता हैI
दुनिया में
विचार को दबाने के लिए इशु की हत्या कि गई, जब बुद्ध धर्मं अपने चरम पर था तो
हत्या हुई, शैव और वैशनव भी लडे, आज -काल आतंकवाद के नाम पर विचारो की हत्या की जा रही हैI
लेखक का शारीर मरता है,उसके विचार हमेशा अमर है
मुझे उन मुर्ख
लोगो पर दया आती है जिन्हें लगता है, की किसी इन्सान को मार देने से सब ख़तम हो
जाता है तो उन्हें कोई समझाएI विचार ठीक वायरस की तरह है एक से दुसरे में नियंतर
बिना रुके किसी न किसी को प्रभावित करता रहता हैI तुम मरते रहो वो अपना रास्ता
दूंदता हुआ सही व्यक्ति के पास पहुँच जाएगाI लेखक समुदाय को भी चाहिए की वो भक्त
जैसा व्यवहार न करे ज्ञानी जैसे तर्क करे और सत्य को लिखेI
रिंकी
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