Sunday, October 29, 2017

इंडिया से हारता भारत



भारत फिर इंडिया से हार गयाI किसी खेल में नहीं  बल्कि ज़िन्दगी से  मध्य प्रदेश  में  एक लड़की ने भूख के कारण अस्पताल के बाहर दम तोड़ दियाI  वो तो मीडिया ने खबर प्रसारित कर दी, नहीं तो ऐसे न जाने कितने लोग भूख के वजह से मर रहे है, पर किसी को पता नहीं चलता कोई खबर नहीं छपतीI  भारत में  आदिवासी और अनुसूचित जाति में शामिल लोग शायद ही इंडिया के बारे में जानते होंगेI भारत में भुखमरी, बेरोज़गारी, इलाज के बिना मरते लोग, शिक्षा,पानी,मकान और बहुत कुछ को तरसते लोग निवासी करते हैI डिजिटल इंडिया,शनिंग इंडिया,मेक इन इंडिया आदि शब्द आज–कल बहुत प्रचलन में है, नेता अक्सर इंडिया को बनाने की बात अपने मन से करते है, मन तो मन है क्या पता कब बदल जाएI अब भारत की बात करते है,भारत वो जगह जहा इंडिया की ६०% आबादी रहती हैI  वो आबादी जो  भारत में रहते हुए इंडिया के लिए काम करती है, भारत में रहनेवाले लोगो को इंडिया की शायद ही कोई खबर हो क्यूंकि वो किसान, मजदूर और छोटे-मोटे रोज़गार करनेवाले लोग है,और इंडिया के लोग नेता, व्यापारी और नौकरीपेशा लोग हैI


भारत का रैंकिंग दुनिया के बनाम

सामाजिक विकास सूची- २०१७
भारत का स्थान- 93, 123 देश में
संयुक्तराष्ट्र विकास सूची
भारत का स्थान- 131, 188 देश में
लिंग असमानता सूची
भारत का स्थान श्रीलंका और मालदीव्स से पीछे
विश्व भुखमरी सूची-२०१७
भारत का स्थान-100,119 देश में



भारत हर तरफ से इंडिया से बहुत पीछे हैI जो लोग भारत में रहते है उनके लिए रोज़ का खाना जुटा पाना जंग से कम नहीं, कई लोग रोज़ बिना खाना खाए सो जाते है, भूख से हुई मोत को साबित करना आसान नहीं क्यंकि,अक्सर भूख से हुई मोत को किसी बीमारी से हुई मोत से जोड़ दिया जाता हैI भारत में भुखमरी बहुत बड़ा कारण  है बच्चो और गर्भवती महिलाओं की मोत के लिएI



आप और मैं क्या कुछ कर सकते है? की भारत के मरते भूखे लोगो को बचाया जा सकेI कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख के हम मदद कर सकते है,खाना बर्बाद नहीं करे, दुनिया का सबसे बड़ा अपराध होता है की खाना बर्बाद करनाI भारत और इंडिया को जोड़ने की  सेतु बनेI




रिंकी


Thursday, October 19, 2017

दिवाली मङ्गलमय हो

धन बरसे उमंग बरसे
दीवाली में, हर तरफ से
माँ लक्ष्मी की आप पर
कृपा बरसे।

कुछ दीये बाज़ार से ज्यादा
ख़रीदे ताकि उसका घर भी
जगमगाये जिसने दीया है
बनाये

माँ लक्षमी की आप पर कृपा बरसे
शुभ दीपावली

रिंकी

Sunday, October 8, 2017

कल्पवृक्ष ! है हम सभी


बहुत देर तक चलते रहने से वो थक गया थाI एक विशाल पेड़ के नीचे आकर उसने कहा आराम कर लेता हूँ और उसका मन और शरीर थकान से मुक्त हो गयाI उसके मन में आया की भोजन किया जाए और उसने स्वयं से कहा खाना खाते है, उसके सामने गरम-गरम ताज़ा भोजन था जिसे उसने खाया,पानी पीने की तलब उठी, फिर उसने स्वयं से कहा पानी पीते है और बहुत मीठा अमृत स्वाद सा पानी उसने पीयाI भोजन और पानी पीने के बाद उसने कहा, सो जाता हूँ और वो गहरी नींद में चला गयाI

सो कर उठा तो सोचने लगा कुछ तो गड़बड़ है इस जगह में उसने जो सोचा और क्रिया की वो पा लिया भोजन,पानी और नींदI उसने पेड़ को देखा और कहा, लगता है पेड़ पर भूत है और इतना कहते ही भूत प्रकट हो गएI डर से उसने कहा  मैं तो मर गया और वो मर जाता हैI हमारे मन के विचार सबसे शक्तिशाली चीज़ है आप जैसा सोचेगे वो ही पायेगेI



जीवन बहुत ही संभवनाओ से भरा है, जीवन का एक सीधा-साधा सा रहस्य है की जो चाहिए उसमे जीये, उस आदमी को जब भोजन चाहिए था तो उसने ये नहीं कहा की मुझे भोजन चाहिए बल्कि उसने कहा खाना खाते है और उसे भोजन मिल गयाI

प्रकृति हमारे जीवन में ठीक ऐसे ही हिसाब से काम करती हैI आप विश्वास करे या न करे प्रकृति को कोई फर्क नहीं पड़ता वो बस अपना काम करती हैI जो चाहिए उसे पाया हुआ सोचिएI हम सब उस कल्पवृक्ष की तरह है, जो सारी इच्छा पूरी करता हैI हम सभी कल्पवृक्ष ही हैI



रिंकी

असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...