Saturday, June 20, 2020

टिमटिमाते सपने


अमन बार-बार गांधी सभागार भवन की तरफ देखे जा रहा है। वह इस बिल्डिंग को हमेशा ही देखता है, इतनी बड़ी बिल्डिंग वह भी गांधी मैदान के पास और कितना सुंदर भी है। दस साल के अमन के लिए उस बिल्डिंग में जाना किसी सपने से कम नहीं है। उसने कितनी ही बार कोशिश की वो अंदर जा सके पर गॉर्ड हमेशा भगा देता है , जैसे वो कोई कुत्ता हो।
कल का दिन तो बहुत खास है उसके लिए, वह अपनी मां के साथ बैठकर फल बेच रहा है, लेकिन उसका ध्यान आनेवाले कल में घूम रहा है। वो चाहता है की जल्दी से रात हो और कल आ जाए। मां ने ज़ोर से डांटा आज तेरा ध्यान किधर है ?  ज़ोर से  आवाज लगा देख कितनी ग्राहक जा रहे हैं।
अमन मन मरकर फल बेचने में लग जाता है। पर थोड़ी ही देर बाद फिर वह अपने सपनों में खो जाता है।

मां, जल्दी करो गाड़ी आती ही होगी मुझे लगता है तुम्हारी वजह से मुझे देर हो जाएगी। अभी बहुत देर है,अमन गाड़ी नौ बजे आएगी और अभी सिर्फ आठ बजे हैं।  तू तैयार होकर बैठ गया। ये तो बता किसलिए तुझे बुलाया है? आज का स्कूल नागा करेगा। जैसे ही कार्यक्रम खत्म हो जाए। ठेले पर आ जाना समझ गया। मैं सीधे ठेले पर ही आऊंगा ,पहले तुम मुझे जाने तो दे।

वहां पर बहुत सारे स्कूल के बच्चे और सरकारी आदमी भी आएंगे। मै आज तक किसी सरकारी आदमी से नहीं मिला हूँ ।मैं उनसे मिलकर पूछूंगा कि हमारे स्कूल में कुर्सी -टेबल क्यों नहीं है? ठीक है ठीक है जो पूछना है पूछ लेना। पर सीधे ठेले पर आना इधर -उधर भाग मत जाना।

अमन, गांधी सभागार के गेट के सामने खड़ा है वह रोज ही खड़ा रहता है लेकिन अंदर नहीं जा  पाता है पर आज की बात कुछ अलग ही है, उसे अंदर जाने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि वह बड़े दीदी- भैया के साथ आया है। बहुत बड़ा हॉल जो इतना बड़ा था जिसमें अमन की पूरी बस्ती समा जाए, इतनी बड़ी जगह उसने कभी नहीं देखी थी। हॉल में 500 से ज्यादा बच्चे हैं और सामने बहुत सारे बड़े लोग बैठे थे
अमन का ध्यान पीछे रखें नाश्ते की तरफ है, मन में चल रहा है की कि डब्बे में क्या -क्या होगा ?   उसका ध्यान बिल्कुल भी कार्यक्रम की तरफ नहीं है आज उसका सपना पूरा हो गया है,गांधी सभागार को अंदर से देखें और यह बिल्कुल परियों की कहानी की तरह है।
मंच पर खड़ा एक व्यक्ति ने बच्चों से सवाल किया आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? एक बच्चा खड़ा हुआ और उसने कहा मैं डॉक्टर बनूंगा। दूसरे ने कहा मैं पुलिस बनूँगा, किसी ने टीचर कहा।

अमन खड़ा हुआ मंच की तरफ देखकर बोला, मैं बड़ा होकर बड़ा चोर बनूंगा ,क्योंकि मुझे लगता है बड़ी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ही बड़े होकर पुलिस टीचर या अफ़्सर बनाते है।  मेरे  बस्ती के जो भैया है वो कहते हैं, बड़े लोगों को पढ़ने -लिखने दो वह पैसा कमाएंगे और हम उनका पैसा चुराएंगे। सब उसकी बात सुनकर हंसने लगे वह भी हंसने लगा और बैठ गया।

पिछले एक महीने से सभी बाजार बंद है।  मां बाहर फल बेचने नहीं जा सकती अगर जाती भी है, तो पुलिस वाले मना करते हैं, उसके पिता बहुत मुश्किल से दिल्ली से वापस आए हैं। उन्होंने बताया कि जो भी पैसा कमाया था दिल्ली से वापस आने में खर्च हो गया है। घर में बचे जमा पूंजी से ही परिवार चल रहा था। आज माँ के गहने बेचकर लाए पैसे से घर में खाने का सामान आया है। अब पहले जैसा खाना नहीं मिलता ,जो बनता है खाना पड़ता है। ज़िद्द करने पर डाँट पड़ती  है। 
अमन को बस इतना पता है कि कोई बीमारी फैली हुई है पर उसे आस -पास कोई बीमार नजर नहीं आता है।मां से उसने कई बार पूछा की स्कूल कब खुलेगा हम बाजार कब जाएंगे ? इन सभी सवालों का जवाब उसके माता-पिता नहीं देते हैं।

कुछ दिनों में, अमन ने नए सपने बुने है उन्ही में उलझा रहता है। वो एक बार फिर गांधी सभागार जाएगा और अपने नए सपने के बारे में सबको बताएगा। अब वह बड़ा होकर डॉक्टर बनना चाहता है क्योंकि उसने सुना है कि आजकल डॉक्टर भगवान बन गए हैं वह लोगों की जान बचा रहे हैं। उसके बड़े भैया ने बताया है।


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