Sunday, November 1, 2020

विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम संसोधन 2020 ने करोड़ो को किया बेरोजगार

विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम में सरकार ने सितम्बर के माह में रातों-रात संशोधन कर दिया। जिसके परिणाम स्वरुप करोडो लोग बेरोजगार हो गए। संस्थाएँ जो बड़ी संस्थाओ से दान की राशि को प्राप्त कर स्थानीय लोगो को उनके ही गांव -शहर में रोज़गार देते थे, सरकार के आदेश के अनुसार अब बड़ी संस्थाएँ जो FCRA की धन राशि दान के रूप में दूसरी संस्था को देते थे अब नहीं दे सकते। जिसके परिणाम स्वरुप करोडो लोग बेरोजगार हो गए। इस आदेश को तत्काल में लागू कर दिया गया है। इसे ऐसे समझते है आप ऐसी संस्था में काम करते है जिसे दूसरी बड़ी संस्था विदेश से प्राप्त चंदा को दान के रूप में देती है। आज रात को सरकार ने एक आदेश जारी किया की सभी FCRA की धन राशि से चलाए जानेवाले योजना बंद। सुबह जब आप जागते है तो पता चलता है की आप की संस्था अब परियोजना नहीं चला सकती। इसका मतलब अब आपकी भी जरूरत नहीं है।

तीन प्रमुख संशोधन किए गए है। पहला संशोधन, संस्था जिसके पास विदेश से प्राप्त धन राशि  है या कहें FCRA  की विदेशी अंशदान प्राप्त है वो किसी भी दूसरी संस्था को वो राशि नहीं दे सकती। दूसरा संशोधन, कोई भी सरकारी कर्मचारी या सरकारी योजना-परियोजना से जुड़ा  व्यक्ति FCRA के तहत विदेशी अंशदान नहीं ले सकते है। तीसरा संशोधन, अब 80 : 20 का अनुपात का पालन करना होगा। विस्तार से समझे तो 80 प्रतिशत योजना के उदेश्य को प्राप्त करने के लिए और 20 प्रतिशत प्रशासनिक कार्य के लिए। पहले झलक में सरकार का कदम उचित जान पड़ता है  पहले समझते है की FCRA क्या है?  विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम – FCRA जिसके तहत कोई समाज सेवी संस्था या एनजीओ विदेशों से वित्तीय सहयोग या अनुदान ले सकता हैं । ये अनुदान सामजिक कार्य और राष्ट्र हित में ही प्रयोग होना चाहिए विदेशी वित्तीय सहयोग या अनुदान किसी भी प्रकार राष्ट्र के लिए हानिकारक हो या किसी गलत या संदिग्ध गतिविधि के लिए लेना निषिद्ध हैं

अधिनियम के संशोधन के पक्ष में कहने वाले का तर्क है की इससे सरकार विदेशी अनुदान के उपयोग पर नज़र रख सकेगी। राशि का इस्तमाल अराजकतत्व जैसे सरकार के विरोध में आंदोलन,धरना और प्रदर्शन जैसे कार्य में नहीं हो इस पर नज़र रखी जा सकती है। । नक्सल, धर्म परिवर्तन जैसे घटना में कमी होगी। सरकार का कहना है की राशि का उपयोग देश विरोधी गतिविधियों में नहीं होगा। सरकार विदेशी वित्तीय सहयोग का लेखा-जोखा ले सकती हैं भारत में, अभी हाल-ही में बहुत सारे समाज सेवी संस्था को विदेशी फण्ड लेने पर रोक लगा दिया गया था ,ऐसी आशंका थी कि इन वित्तीय अनुदान का गलत उपयोग किया जा रहा हैं  अधिनियम के संशोधन के विपक्ष में तर्क है की हमने "गेहूं के साथ घून पीसना " सुना था पर सरकार ने  इस अधिनियम को रातो-रात बिना किसी चर्चा के पास करके घून को नहीं निकला गेहूँ ही फैक दिया। कोरोना के विकट समय  में जब लोगो के पास रोज़गार के साधन कम है। इस एक अधिनियम के कारण पलभर में ही करोड़ो लोगो की नौकरी चली गई।

लाखो संस्था जो अंतरास्ट्रीय सस्थाओँ से राशि प्राप्त कर देश के दूर दराज गांव में विकास का कार्य करती थी सब बहुत कम हो जाएगा। सबसे अधिक प्रभाव उन युवाओँ पर होगा जिन्हे अपने ही गांव में रोज़गार मिल जाता था। देश की आर्थिक स्तिथि को देखते हुए ऐसा फैसला जनहित के लिए है लगता नहीं है , ये संसोधन सिर्फ सरकार को फ़ायदा देता दिखाई देता है। चाहे किसी भी पार्टी की हो।


Note: This is not a donation appeal; this is an opportunity to encourage Girls like Gayatri to continue her studies.In this campaign envisaged to support children of economical weak families to get enroll in Intermediate session 2021.


 Just click on advertisement, the money will be spending on paying school/college admission fee.

# Support for Education


Rinki


No comments:

Post a Comment

Thanks for visiting My Blog. Do Share your view and idea.

मेहरम

चुप ने ऐसी बात कही खामोशी में सुन  बैठे  साथ जो न बीत सके हम वो अँधेरे चुन बैठे कितनी करूं मैं इल्तिजा साथ क्या चाँद से दिल भर कर आँखे थक गय...