Friday, May 21, 2021

एक तलाश

उसने बड़ी मेहनत से

शिद्दत से एक एक बूंद इकट्ठा कर

पेड़ को  सींचा बरसो।


 

 बिना यह समझे

 जिस पेड़ के जड़ खोखले हो

 वह कभी हरा नहीं हो सकते

 

गर लाख कोशिश भी कर ले तू

अपने दिल को बिछा सकते हो कदमों पर पिया के

तुम खुद को भी तबाह कर लो तो क्या?

राख और ख़ाक हो जाओ।

तुम्हें पता होना चाहिए जो न हो तुम्हारा है

वह कभी तुम्हारे हो ना पाएंगे।

 

अपने दिल के सारे प्यार को

समेट करें हदों को भूल कर

उसने उससे बेहद प्रेम किया।

 

 शायद उसे यह पता ना था कि

 पत्थर पर कितना भी पानी डालो

 वह कभी नरम नहीं हो सकता।

 

तड़प और दर्द तो लाज़मी है

जब आप अपनी सारी बेचैनियाँ समेट कर

हद को लांग कर उससे प्यार करे

और वह पहले से ही किसी और का हो।

 

कुछ दर्द तो होगा पर हमेशा नहीं रहेगा

याद रखो तुम्हारे भीतर का प्यार

किसी के प्रति समर्पण वह अब भी तुम्हारे पास है

वह भी तुम्हें खोज रहा है

जिसे तुम्हारे प्यार की तलाश है।

 

मुस्कुराओ और फिर से  निकल जाओ

अपनी तलाश में।

 

रिंकी

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 23 मई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सही बात है, हार नहीं माननी चाहिए! हम अक्सर कमतर को अच्छा समझ, उसी से आस जोड़ने लग जाते है बिना ये समझे की ये हमारे काबिल है भी या नहीं! इसलिए खुद पर विश्वास होना बहुत ज़रूरी है!

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  3. गर लाख कोशिश भी कर ले तू

    अपने दिल को बिछा सकते हो कदमों पर पिया के

    तुम खुद को भी तबाह कर लो तो क्या?

    राख और ख़ाक हो जाओ।

    तुम्हें पता होना चाहिए जो न हो तुम्हारा है

    वह कभी तुम्हारे हो ना पाएंगे.…बहुत सुंदर रचना

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