क्या क्या ना किया तुम को मनाने के लिये
हर दांव पर खेला तूने, मुझको सताने, के लिये।
मैं ही पागल हूँ करता रहा जो इन्तज़ार तेरा
तू तो गई छोड़ कभी ना लौट कर आने, के लिये।
छोड़ जाना था तो पींग प्यार की बढ़ाई ही क्यों
दुखी हूँ बीच मंझधार मुझे यूँ छोड़ जाने, के लिये।
निकाल फेंका दिल से तूने मक्खन से बाल जैसे
हिम्मत कहाँ से लाऊँ पर मैं तुझे भुलाने, के लिये।
क्या कभी कर बैठती हो याद इतना तो बता दे
दिल किया अफ़सोस कभी किये पे जताने, के लिये।
हर वक़्त रहती हो ख्यालों में आ जाती ख्वाबों में
क्या करूँ ध्यान तेरा अपने ज़ेहन से हटाने, के लिये।
तुम तो हो गई मस्त अपनी गृहस्थी को जमा कर
दिल मेरा न माने तुम बिन जिन्दगी बिताने, के लिये।
सुन मौत की खबर मेरी एक कतरा आंसूँ बहा देना
इतना है काफ़ी मेरी रूह को सकूँ पहुँचाने, के लिये।
मांगता हूँ प्रभु से दुआ खुश रहे आबाद रहे तू सदा
जा माफ़ किया तुझे 'शर्मा' ने दिल दुखाने, के लिये।
रामकिशन शर्मा
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