बर्ष गुजरी सर्द ऋतू
आई
कास के फूल हर ओर
खिल आई
सुन्द-सुन्दर सफ़ेद
न्यारे
खड़े राह के
किनारे-किनारे
हवा संग अटखेली करते
धरा संग होली खेले
बदलो से कुछ इतराते
कास के फूल बड़े
सुहाते
संगी साथी संग खड़े
वो
सबसे अलग रंग रंगे
जो
हरयाली के बीचो-बीच
बिछे राहों में
मन को करते पुलकित
हर्ष उल्लास से भरे
मुझे
है जो सफ़ेद रंग से
सुशोजित
कास के फूल
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