Friday, November 8, 2013

Market yourself


प्रचार की महानता


प्रचार शब्द से हम सब  बहुत अच्छे से परिचित है जाना पहचाना सा शब्द है,हम रोज़ इससे रूबरू होते है,कभी किसी उत्पाद का प्रचार देखने को मिलता है ,कुछ लोग अपना ही प्रचार करते फिरते है कोई कभी अपनी पार्टी का प्रचार करता है कुल मिला कर प्रचार हमारी दुनिया का बहुत ज़रूरी अंग बन गया है,अगर हम प्रचार का सहारा ना ले तो नौकरी नहीं मिलेगी अपना प्रचार करके अपनी काबिलीयत जो साबित करनी पड़ती है. चलिए असली कहानी पर आते आते है  ये वाक्य है

मेरे गाँव का सड़क से जुड़ा गाँव, सड़क से जुड़े होने पर इसलिए जोर दिया मैंने क्यूंकि गाँव तक पहुचने में कोई भी कठिनाई नहीं होती है  इसलिए नेता,मेला बाज़ार और प्रचार करने वाले लोगो को एक आसान सा चारा मिल जाता है अपना प्रचार-प्रसार करने के लिये, एक दिन दो सजी-सावरी लडकियाँ हमारे गाँव में टूथपेस्ट का प्रचार करने के लिए आई वो घर-घर जा कर लोगो से पूछती की आप कौन सा टूथपेस्ट इस्तमाल करते है अगर जवाब देने वाला कहता की वो वाइट पेस्ट ये एक काल्पनिक नाम है टूथपेस्ट ब्रांड का, तो वो लडकियाँ उन्हें एक फॅमिली पैक वाइट पेस्ट का मुफ्त दे देती.प्रचार करने का अजीब तरीका है अगर समाने वाला आपकी ब्रांड को पहले से इस्तमाल कर रहा है तो उसी को टूथपेस्ट दे कर क्या फयदा चलिए हम को क्या कंपनी समझे प्रचार के दौरान दोनों लडकियाँ कमला के घर पहुची अपना परिचय देते हुए उससे पूछा की वो कौन सा पेस्ट इस्तमाल करती है कमला ने जवाब दिया लाल मंजन और उनको मिफ्त में टूथपेस्ट नहीं मिला,कमला भीतर-भीतर उदास और गुस्सा हुई और कसम खा ली की मुफ्त में मिल रहे टूथपेस्ट को  कैसे ना कैसे करके लेना ही है और दस पड़ोसियों को भी दिलाना है


अरे मुफ्त के समान पर को सबका हक़ होता है वो तो सब की चीज़ होती है और ये तो हमारे खून में है की मुफ्त में ज़हर भी मिले तो खाले दूसरें दिन भी दोनों लडकियाँ प्रचार के काम में लगी थी कमला अपने पडोसी के घर में पहले से ही जा कर बैठी गई की इस बार सही जवाब दे कर टूथपेस्ट ज़रूर लूंगी दोनों लडकियाँ ने घर का दरवज़ा बजाय कमला की सहेली ने दरवज़ा खोला और उनके सवाल का सही ज़बाब दिया क्यूंकि अब गाँव के हर व्यक्ति के जुबान पर वाइट टूथपेस्ट का ही नाम था मुफ्त में मिल रही समान का नाम भगवान की तरह ही सर्व व्यापी होती है कमला भी घूँघट में चेहर छुपाये नाम बदल कर टूथपेस्ट पा लेती है और अपनी चतुरता पर मुस्कुराती है.


प्रचार के कई तरीके है और इसका महत्व भी बहुत होगया है अब राजनैतिक पार्टी का प्रचार की जान कल्याण प्रचार से अधिक भव्य और कलाकारों से सज़ा होता है,बड़े लोगो उल्टा-सीधा बोलकर फेमस हो जाते है,कोई किसी को जूता मर कर फेमस हो जाता है,कोई साठ साल से चल रहे विकास के काम जैसे सडक बना,पुल बनाना और शासन व्यवस्था को चलानो को ही अपनी उपलब्धि बता कर अपना प्रचार कर राह है खर प्रचार कोई भी करे हम  जनता बस हाथ और मुह खोल कर लेने के लिए बैठे रहते है बस पता चले की सब मुफ्त में है,पर एक बात  किसी ने सही कहा है की हर चीज़ की अपनी कीमत होती है मुफ्त की चीजो की भी होती है ..

No comments:

Post a Comment

Thanks for visiting My Blog. Do Share your view and idea.

असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...