किताबो के भीतर
मेरे सपनो की दुनिया
पन्ना बदलते ही बचपन दिखा
पुरानें दोस्त मिले
ख़ुशी,उमंग,झूठे ओर सच्चे
बातो की कहानी मिली
स्कूल की डेस्क पर
कॉलेज के दिनों के तस्वीर
मिले
एक पुरानी किताब
के पन्नो में दबा प्यार मिला
गुलाब की पंखुडियो पर लिखा
उसका नाम मिला
सपनो को किताबो से प्रेरणा मिली
जिन्दगी का हर रूप किताबो से ढला
ये वो दोस्त है जो रूठे न कभी
अलमारी में बैठे मुस्कुराते रहे
कहते मुझसे खोजो मुझमे
सवाल दर सवाल
जब कभी किसी नए सवाल
का जवाब मिले
लिखो उसे की बन जाए
एक नई किताब ..
Nice lines...
ReplyDeleteThanks Ram Bidiyasar forcomments
ReplyDeleteFor a long time haven't see new article ...plzz keep it up. you wrote nice
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