सर झुकए सब से नज़रे छुपाए
वो चले जा रही अपनी राह
सर का अचल
चेहरा का नकाब
सब को संभले
वो चली जा रही अपने रहा
कुछ ने कहा वहीं है ये
इसी की कोई गलती होगी
कोई ऐसे ही नहीं डालेगा
तेज़ाब
लोगो की बातोँ की जलन ने
उसके अंदर के साहस को जलाया
उसे लगा एक बार फिर उस पर
किसी ने तेज़ाब सा ज़हर डाला
तेज़ाब से चेहरा जले तो एक बात
सपने,होसले,रिश्ते इज़ात तक
जल जाता है
तेज़ाब ने उसकी चमड़ी नहीं,
जिंदगी जला डाली
जलने का निशान गहरे ,
आत्मा तक पड़ गया
घुटन,बेबसी की एक काली जिंदगी
साथ लिए वो जी रही थी
आज वो चल पड़ी
मिटाने शारीर,आत्मा पर पड़े निशान
चल पड़ी अपने सम्मान,मान,
खोई जिन्दगी के लिए मंजिल
की तलाश में
ताने दे चाहे कोई या खड़ा हो जाए
रहा में
तेज़ाब के जलन को छोड़ कर
आज निकल चली
नए असमान की तलाश में.
नए असमान की तलास में...........
Beautiful expression of feeling..........
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