बाल दिवस के मेले
में
हर बाल कन्हिया बन
नाच रहा
हर बालिका मलाला बन
कर अपने
अधिकारों पर बात रख
रही
हर बच्चा कलाम सा
दिख रहा
हर के चहरे पर
प्रतिभा का नूर बिखर रहा
वो जो लड़का खड़ा है
एक कोने में
बस रंग-बिरंगे
गुबारे को देख रहा
लाल उसे लड्डू सा
नज़र आ रहा
हरा रंग के चप्पल का
जाने कब से सपना देख रहा
लड़का बस रंग-बिरंगे
गुबारे को देख रहा
गिनती के गुबारे बचे
है
कब खत्म होगे सोच
रहा
बाल मेला में घूम
सके
हर बच्चे को हसरत
भरी आँखों से देख रहा
वो कोने में खड़ा
गुबारे बेच रहा
बस रंग-बिरंगे
गुबारे को देख रहा
Rinki
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