Tuesday, February 27, 2018

फैसला


पंचायत के बीच में बैठी शारदा शर्म के मारे अपना सर नीचे किए बैठी हुई है उसने एक बार भी ये देखने की कोशिश नहीं की ये कौन लोग है जो उसके लिए गए निर्णय पर अपना पंचायती फैसला थोपने रहे  है  शारदा का पति और बच्चे उसे ऐसे देख रहे है, जैसे उसे आखरी बार देख रहे है, इसके बाद  वो उससे कभी नहीं मिलिगे I

पंचायत ने फैसला लिया शारदा अपने प्रेमी के घर में ही रहेगी वो घर का सारा काम- काज करेगी और उसके प्रेमी की  पत्नी और बच्चों की सेवा करेगी, ये पंचायत का फैसला था  जिसे शारदा और उसके प्रेमी को मानना ही था, ये तो शुक्र है ये दोनों खप पंचायत या किसी ऐसे रूढ़िवादी गाँव में नहीं रहते जहाँ शादीशुदा होकर भी गैर आदमी –औरत से संबंध रखने पर गाँव से निकला या जान से मर दिया जाता I



शारदा और उसका प्रेमी (मोहन)  दोनों एक दूसरे को देखते है और सब कुछ के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करते है, दोनों पहले से शादीशुदा है दोनों ही के तीन-तीन बच्चे है एक ही गाँव में रहते है और प्रेम में पड़ गए, दोनों ने एक साथ रखने का फैसला लिया और शारदा अपना घर, पति और बच्चे छोड़ मोहन के साथ उसके घर आ गई

शारदा, मोहन और पंचायत ने अपना-अपना फैसला लिया I एक दिन  किसी ने शारदा के बच्चों से पूछा तुम्हारी माँ कहा है? उनका जवाब था “ वो मर गई” ये
बच्चों का फैसला था



रिंकी


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