Saturday, May 26, 2018

लेखक और पाठक


मुलाकात हुई कुछ अपने जैसे
कलम से सपने उकेरने वाले
लेखकों से
 उन्हें  लाइब्रेरी के
हर कोने में देखा मैंने
जो खुशनसीब थे
वो पुस्तक प्रेमियों के हाथ में
सजे मिले
 कुछ ऐसे भी थे
जो लाइब्रेरी  के गलियारे
के अलमारी में रखे  मिले
मुसकुरा रहे थे
इस उम्मीद में कोई
पढ़े उन्हें
 उस लाइब्रेरी में एक कमरा था
कुछ लेखक वह भी खड़े मिले
धुल जमी थी उन पर
बदरंग से हुए पड़े
 कोई पढ़े उन्हें भी इसी
सोच में वो धुल खाते रहे  
कुछ को तो दीमक खा रहे थे
वो तिल-तिल
पाठकों के इंतजार में मर रहे थे
 है लेखक पाठक का रिश्ता ऐसा
दीया बाती के जैसा

रिंकी





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