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Monday, June 14, 2021

इक सफ़र पर मैं रहा, बिन मेरे-सूफ़ी संत जलालुद्दीन रूमी

इक सफर पर मैं रहा, बिन मेरे

उस जगह दिल खुल गया, बिन मेरे


वो चाँद जो मुझ से छिप गया पूरा
रुख़ पर रुख़ रख कर मेरे, बिन मेरे

जो ग़मे यार में दे दी जान मैंने
हो गया पैदा वो ग़म मेरा, बिन मेरे

मस्ती में आया हमेशा बग़ैर मय के
खुशहाली में आया हमेशा, बिन मेरे

मुझ को मत कर याद हरग़िज
याद रखता हूँ मैं खुद को, बिन मेरे

मेरे बग़ैर खुश हूँ मैं, कहता हूँ
कि अय मैं रहो हमेशा बिन मेरे

रास्ते सब थे बन्द मेरे आगे
दे दी एक खुली राह बिन मेरे

मेरे साथ दिल बन्दा कैक़ूबाद का
वो कैक़ूबाद भी है बन्दा बिन मेरे

मस्त शम्से तबरीज़ के जाम से हुआ
जामे मय उसका रहता नहीँ बिन मेरे

Wednesday, April 14, 2021

नया रंग

प्यार में नाकामी का तमगा हासिल है मुझे

ठीक रेल में सवार पैसेंजर की तरह

हर स्टेशन पर पुराना साथी उतरा

नया साथी बनता गया

सफ़र तो अलग बात थी

मंज़िल तक पहुंचना मुश्किल लगा मुझे।

 

रात में सन्नाटे का शोर

दिन के शोर से ज़्यादा कानो में गूंजता है।

मै अनसुना भी करू तो

अपने ही साए सा पीछा कहा छोड़ता है।

मुझे अकेला नहीं छोड़ता है।


हम सा साझदार न मिला था हमें अब तक

जब तक वो अपने बातो में इश्क को लपेटे

मेरे सामने नहीं आया था।

उस वक़्त पछताया , मोहबत में डूब जाने की

बेवकूफी क्यों नहीं की अब तक


शब्द दर शब्द बिना किसी अंतरा, लय, छंद के

कुछ लिखने की कोशिश में है

देखते है क्या बना सकता है।

शायद कविता , कहानी या कुछ और उभरे

अच्छा हो किसी दोस्त के मन में भी

इसे पढ़ कर साहित्य का नया रंग निकले।

 

 

 

रिंकी

Saturday, May 26, 2018

लेखक और पाठक


मुलाकात हुई कुछ अपने जैसे
कलम से सपने उकेरने वाले
लेखकों से
 उन्हें  लाइब्रेरी के
हर कोने में देखा मैंने
जो खुशनसीब थे
वो पुस्तक प्रेमियों के हाथ में
सजे मिले
 कुछ ऐसे भी थे
जो लाइब्रेरी  के गलियारे
के अलमारी में रखे  मिले
मुसकुरा रहे थे
इस उम्मीद में कोई
पढ़े उन्हें
 उस लाइब्रेरी में एक कमरा था
कुछ लेखक वह भी खड़े मिले
धुल जमी थी उन पर
बदरंग से हुए पड़े
 कोई पढ़े उन्हें भी इसी
सोच में वो धुल खाते रहे  
कुछ को तो दीमक खा रहे थे
वो तिल-तिल
पाठकों के इंतजार में मर रहे थे
 है लेखक पाठक का रिश्ता ऐसा
दीया बाती के जैसा

रिंकी





बाबा नीम करौली महाराज-प्रेम, भक्ति और करुणा के प्रतीक

 बाबा नीम करौली महाराज भारत के एक महान संत थे, जिन्हें उनके भक्त “महाराज जी” कहकर पुकारते हैं। उनका वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। वे...