Tuesday, August 7, 2018

भीतर झाँको


भीतर झाँको- राजेंद्र बहदुर सिंह ‘ रंजन’


सबसे बड़ा
प्रदुषण मन में
भीतर झाँको !

कब खुद  का
निर्मल अभ्यंतर
आज बताओ,

और तनिक
खुद को बढकर
पापी ले आओ,

निर्विकार हो
भीतर से पहले
हर साधक,

तभी बनेगा
सफल संत-कवि
औ आराधक,

श्रद्धपूर्वक
परमपुरुष को
मन में टांको !

Sunday, August 5, 2018

दोस्ती हमारी


ना कभी सवाल पूछा
ना कभी प्रमाण माँगा
बस कहने भर से साथ
चल देते थे

मेरे चेहरे को किताब 
की तरह पढ़ लेते थे
दुनिया के  तानो को 
हम साथ में मिलकर 
सह लेते थे

 मान –अपमान के तराजू
में कभी तौला नहीं
बस हँस के सहारा दिया
करते थे

 वो दोस्त ही थे 
जिनके  साथ हम बेफिक्र
जीया करते थे

 ज़िन्दगी का सच 
हार का गम सब भूल के
खुलकर उनके साथ 
रहा  करते थे

 वो दोस्त ही थे 
जो बिना शर्त
साथ दिया करते थे

 लड़ते थे झगड़ते थे
मान भी झट से जाते थे
वो दोस्त ही थे 
जिनके  साथ हम बेफिक्र
जीया करते थे





रिंकी







असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...