Wednesday, April 8, 2020

गुलजार

बे वजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है"*
मौत से आँखे मिलाने की ज़रूरत क्या है"*
सब को मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल"*
यूँही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है"*

ज़िन्दगी एक नेमत है उसे सम्भाल के रखो"*
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है"*
दिल बहलाने के लिये घर में वजह हैं काफ़ी"*
यूँही गलियों में भटकने की ज़रूरत क्या है"*

1 comment:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 14 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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