Friday, June 18, 2021

तू ख़ुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है-तनवीर ग़ाज़ी

 तू खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है,
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है

जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इनको वस्त्र तू 
ये बेड़ियां पिघाल के
बना ले इनको शस्त्र तू
बना ले इनको शस्त्र तू
तू खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है
चरित्र जब पवित्र है
तो क्यों है ये दशा तेरी
ये पापियों को हक़ नहीं
कि ले परीक्षा तेरी
कि ले परीक्षा तेरी
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है

जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है
तू आरती की लौ नहीं
तू क्रोध की मशाल है
तू क्रोध की मशाल है
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है

चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कंपकंपाएगा 
अगर तेरी चूनर गिरी
तो एक भूकंप आएगा
तो एक भूकंप आएगा
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है

Monday, June 14, 2021

इक सफ़र पर मैं रहा, बिन मेरे-सूफ़ी संत जलालुद्दीन रूमी

इक सफर पर मैं रहा, बिन मेरे

उस जगह दिल खुल गया, बिन मेरे


वो चाँद जो मुझ से छिप गया पूरा
रुख़ पर रुख़ रख कर मेरे, बिन मेरे

जो ग़मे यार में दे दी जान मैंने
हो गया पैदा वो ग़म मेरा, बिन मेरे

मस्ती में आया हमेशा बग़ैर मय के
खुशहाली में आया हमेशा, बिन मेरे

मुझ को मत कर याद हरग़िज
याद रखता हूँ मैं खुद को, बिन मेरे

मेरे बग़ैर खुश हूँ मैं, कहता हूँ
कि अय मैं रहो हमेशा बिन मेरे

रास्ते सब थे बन्द मेरे आगे
दे दी एक खुली राह बिन मेरे

मेरे साथ दिल बन्दा कैक़ूबाद का
वो कैक़ूबाद भी है बन्दा बिन मेरे

मस्त शम्से तबरीज़ के जाम से हुआ
जामे मय उसका रहता नहीँ बिन मेरे

Sunday, June 6, 2021

छु कर देखू तुम्हे

 


आँखों में चुभते रहते है

तुम्हारे साथ होने के सपने

अक्सर मुझे तकलीफ देते है।

बंद आंखों से नहीं 

छु कर देखू  तुम्हे

मज़बूर करते है मुझे ।

 

वक़्त ने नमो निशान तो मिटा दिया

पर एक परछाई है जो

सुबह से रात तक साथ रहती है

मुझे मजबूर करती है

छु कर देखू  तुम्हे।

 

न फ़ोन या संदेश से

खबर आती है 

खैरियत तुम्हारी उसकी दुआ से ही

पता चलता है।

 

तुम उस चाँद की तरह हो

जो हर रोज़ अपनी जगह बदलता है

कभी छुपता है,कभी बहुत करीब होता है।

पर हमेश दूर,मेरी पहुँच से दूर होता है

और ये ख्याल मुझे मज़बूर करता है

छु कर देखू तुम्हे।

 

रिंकी

असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...