छोड़ दूँ या रहने दूँ
तुम्हे आवाज़ दूँ या
ख़ामोशी को ही कहने दूँ
शब्द छूले तुम्हे मेरे
या आँखों को ही प्यार का
सन्देश
भेजने को कह दूँ
दिल के सन्दुकरी में
अरमान कई छुपे है
धीरे-धीरे सब बोल दूँ....
कोई पुकारता नहीं फिर भी
आवाज़ सुनती हूँ
कोई बंधन नहीं
फिर भी कैद तुझ
में हूँ
सपने देखू तेरे ही मैं
दिन में खुली आँखों से,
हाथ बढ़ा चाहू छूना तुझे
तुम हो जाते गुम
दिल के सन्दुकरी में
अरमान कई छुपे है
धीरे-धीरे सब बोल दूँ...
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