ईट पत्थर जोड़कर
मकान लिया बनाएं
दरार पड़ी है
हर रिश्ते में
मकान मेरी मेहनत का
मुझे घर जैसा नज़र
न आए
पोथी पढ़-पढ़
मंत्र रट-रट
रिश्ते में बांध गए
मन में मेरे गाठ
प्रेम की बांध
सका न कोई
जो बात दो दिलो
के बीच होनी थी
उसी रिवाज़ में
गढ़ दिया
अग्नि कुंड की वेदी
ने मेरे होने की
उम्मीद को जला दिया
क्या कहना जब टहनी ही जड़ बन जाये
ReplyDeleteप्रेम की गाठ खुद से बाधो उम्मीद सिर्फ खुद से लगाओ
फिर किस कि मजाल कोई तुम्हे जला जाए !!