Sunday, April 27, 2014

माया जाल

ईट पत्थर जोड़कर
मकान लिया बनाएं
दरार पड़ी है
हर रिश्ते में
मकान मेरी मेहनत का
मुझे घर जैसा नज़र
न आए

पोथी पढ़-पढ़
मंत्र रट-रट
रिश्ते में बांध गए
मन में मेरे गाठ
प्रेम की बांध
सका न कोई


जो बात दो दिलो
के बीच होनी थी
उसी रिवाज़ में
गढ़ दिया
अग्नि कुंड की वेदी
ने मेरे होने की
उम्मीद को जला दिया

1 comment:

  1. क्या कहना जब टहनी ही जड़ बन जाये
    प्रेम की गाठ खुद से बाधो उम्मीद सिर्फ खुद से लगाओ
    फिर किस कि मजाल कोई तुम्हे जला जाए !!

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